Surya Grahan 2023: सूर्य ग्रहण क्यों लगता है और इसे देखने से कौन सा दोष लगता है। तथा सूर्य ग्रहण के दौरान क्या-क्या नहीं करनी चाहिए, इससे जुड़ी सारे सवालों का जवाब आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से विस्तार पूर्वक देने की कोशिश करेंगे। देखिये धार्मिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2023) का अलग ही महत्व है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसका एक अलग ही महत्व है।
तो आज हम आपको धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों से खुलकर सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2023) से जुड़ी हर एक बात से भली भांति परिचित कराएँगे। तो चलिए जानते हैं सूर्य ग्रहण से जुड़े हर एक रहस्य, जो धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अलग-अलग है। लेकिन यह जानने से पहले आप इस पूरे आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़िएगा। तभी आप इस पूरे सूर्य ग्रहण का गुत्थी को सुलझा पाएंगे।
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों के एक धार्मिक दृष्टिकोन है तथा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। लेकिन आज हम इन दोनों से सूर्य ग्रहण के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने का कोशिश करने वाले हैं। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या कहता हैं सूर्य ग्रहण के बारे में।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण – Surya Grahan Timing
Surya Grahan Timing: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण के बारे में यह कहा गया है कि जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते-करते सूरज और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तब इससे सूर्य से आने वाली किरणें को पृथ्वी तक आने से चंद्रमा रोक देता है। इसी को सूर्य ग्रहण कहते है। और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हमारा साइंस भी कहता है कि सूर्य ग्रहण को कभी भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए।
क्योंकि सूर्य से निकलने वाली खराब रेडिएशन हमारे आंख की सबसे जरुरी पार्ट रेटिना को ही खराब कर देती है। और अलग अलग पार्ट को भी बहुत प्रभावित कर देती है जिससे हमारे आंख जाने का भी खतरा रहता है। यह तो हुई बात वैज्ञानिक दृष्टिकोण से या तो कहे हमारे साइंस से। अब चलिए बात करते हैं हमारे धार्मिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
धार्मिक दृष्टिकोण क्या कहता है सूर्य ग्रहण के बारे में – Surya Grahan 2023
Surya Grahan Kab se Kab Tak Rahega: हमारे शास्त्र क्या कहते हैं सूर्य ग्रहण के बारे में चलिए जानते हैं। पर उससे पहले मैं आपको बता दूँ की धार्मिक दृष्टिकोण में दो मान्यताएं हैं सूर्य ग्रहण के बारे में। आज हम इन दोनों घटनाओं को आप लोगों को बताने वाले हैं। सूर्य देव और चंद्र देव राहु नामक राक्षस का भेद जान गए थे जब वह समुन्द्र मंथन के दौरान निकली हुई अमृत को पीने के लिए देवों आ भेष लेकर आया था।
दरअसल हुआ ये की समुद्र मंथन से निकलने वाले अमृत पिने के लिए देवों और दानवों में युद्ध छिड़ गया था। जिसके बाद इस युद्ध को सांत करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवों और दानवों को अमृत पान कराने के लिए आए। उसके बाद उन्होंने देवता और दानव को दो अलग-अलग कतारों में बिठा दिए।
और भगवान ने देवतााओं को अमृत पिलाना शुरू किया। लेकिन राहु नामक राक्षस ने भेस बदलकर देवताओं के कतार में जा बैठा और अमृत पान कर लिया। यह सब सूर्य देव और चंद्र देव देख रहे थे और तुरंत उन्होंने श्री हरि को बोला प्रभु यह तो राक्षस है। उसके बाद भगवान ने तुरंत ही अपने सुदर्शन चक्र से राहु नामक राक्षस का गला काट दिया।
लेकिन अमृत पान करने के चलते उसका शरीर दो हिस्सों में बटगया लेकिन वोअमर हो गया। और सर वाला हिस्सा राहु और धड़ वाला हिस्सा केतु कहलाने लगा। और राहु का भेद सूर्य देव और चंद्र देव ने खोला था। इसी चलते राहु-केतु ग्रह सूर्य देव और चंद देव पर ग्रहण लगाते हैं।
दूसरा धार्मिक मान्यता – Surya Grahan Kab se Kab tak Rahega
दूसरा धार्मिक मान्यता यह है कि वैदिक काल या कहे तो पुराने जमाने में हमारा विज्ञान आज के विज्ञान से उन्नत विज्ञान माना जाता था। उस समय सूर्य ग्रहण का घटना का वर्णन इस प्रकार है की स्वारभानु नामक राक्षस ने सूर्य देव को फंसा लिया। जिससे पूरी पृथ्वी अंधकार में हो गयी। उसी दिन से सूर्य ग्रहण की एक ये भी मान्यता है।
Surya Grahan Timing: सूर्य ग्रहण के दौरान क्या होता है?
Surya Grahan Kab se Kab tak hai: सूर्य ग्रहण के दौरान क्या होता है? आप सब ने कभी ना कभी तो सूर्य ग्रहण देखा ही होगा। जब भी सूरज ग्रहण आता है तो पूरा पृथ्वी अंधकारमई हो जाती है। और अंधेरा ही अंधेरा रहता है। जिससे पूरे पशु और पक्षी कंफ्यूज हो जाते हैं और अपने-अपने घर की ओर चल देते हैं सोने के लिए।
सूरज ग्रहण के दौरान धरती पर पड़ने वाली परछाई की अधिकतम चौड़ाई 160 मिल से 170 मिल हो सकती है। इसके प्रभाव से पृथ्वी की घूमने की गति में 0.0001 सेकंड की कमी हो जाती है। पूर्ण सूरज ग्रहण करीब 7.5 मिनट का हो सकता है।
सूर्य ग्रहण में मंदिर क्यों बंद रहते हैं – Surya Grahan 2023
Surya Grahan Timing: सूरज ग्रहण के दौरान हमारे मंदिर बंद क्यों रहते हैं? सुर्य ग्रहण के दौरान मंदिर बंद रहने का एक रहस्य है कि हिंदू धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार आकाशीय पिंड सूरज तथा चंद्रमा नकारात्मक ऊर्जा छोड़ते हैं। इसलिए मंदिर के मुख्य द्वार को बंद कर दिया जाता है। ताकि आकाशीय पिंड से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को रोका जा सके। इसीलिए मंदिर को सूर्य ग्रहण के दौरान बंद कर दिया जाता है।
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कौन से राशि वाले लोगों के लिए ग्रहण सबसे खराब होता है? Surya Grahan Kab se Kab Tak Rahega
Surya Grahan Kab se Kab Tak Rahega: हमारे धर्म में राशियों पर ग्रहण का बहुत बड़ा महत्व तथा योगदान माना जाता है। लेकिन कुछ राशियों पर सूर्य ग्रहण के दौरान बहुत ही खराब प्रभाव पड़ता है। तो चलिए जानते हैं कौन-कौन से राशि हैं।
मेष, वृशक, कर्क, कन्या और वृष, इन सारी राशियों को चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष सतर्कता से काम लेनी चाहिए। और सावधानीपूर्वक कोई भी काम करना चाहिए नहीं तो आपके ऊपर बहुत ही खराब प्रभाव पड़ सकता।
भगवान को भी होता है ग्रहण के दौरान कष्ट -Surya Grahan 2023
Surya Grahan Kab se Kab Tak Rahega: हमारे धार्मिक ग्रंथो और पुराणों के अनुसार जब भी सूरज ग्रहण या चंद्र ग्रहण होता है तब हमारे भगवान को भी इसका कष्ट झेलना पड़ता है। ग्रहण का इतना प्रभाव होता है की हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि देवताओं को होने वाले कष्ट के चलते इस दौरान किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य को नहीं करना चाहिए। लेकिन इस दौरान आप पूजा-पाठ कर सकते हैं जिससे भगवान को कष्ट का निवारण मिल सकता हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्यों नहीं खाना चाहिए – Surya Grahan Timing
Surya Grahan Kab se Kab Tak Rahega: हिंदू धर्म में एक मान्यता यह भी है कि सूर्य ग्रहण के दौरान खाना नहीं खाना चाहिए। इस समय पर पकाया हुआ खाना खाना सख्त मना है। क्योंकि ग्रहण के दौरान सारा खाना विषैला हो जाता है और इससे आप बीमार भी पढ़ सकते हैं। इस समय का खाया खाना या पकाया खाना दोनों ही विषैली होती हैं। ना तो सूर्य ग्रहण के दौरान आप खाना बना सकते हैं और ना ही खा सकते हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान कब स्नान करना चाहिए – Surya Grahan Timing
Surya Grahan Timing: हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को बहुत ही शुभ घड़ी के रूप में माना और जाना जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान कब स्नान करना चाहिए? सूर्य ग्रहण का प्रभाव इतना बड़ा और नकारात्मक होता है कि सूर्य ग्रहण के पहले भी आप स्नान कर सकते हैं और उसके बाद भी। लेकिन सूरज ग्रहण के बाद तो जरूर से जरूर स्नान करना ही होता है। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि सूर्य ग्रहण के मोक्ष काल खत्म होने के बाद ही स्नान करें।
जब भी सूरज ग्रहण होता है तब कोई भी मांगलिक कार्य को नहीं किया जाता है और ना ही पका हुआ भोजन या कोई भी भोजन किया जाता है। ऐसा करने से आपके जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का वास होगा और साथ में नाखून काटना और कंघी करना भी माना होता है।
ज्योतिषी शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव रोग ग्रसित हो जाते हैं। जिसका नकारात्मक प्रभाव पूरे दुनिया और ब्रह्मांड में पड़ता है। इसलिए सूर्य ग्रहण को एक अशुभ घटना के रूप में माना जाता है। या कोई भी ग्रहण को अशुभ घटना के रूप में ही माना जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान आप हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं क्योंकि हनुमान चालीसा का पाठ या मंत्र बहुत ही शक्तिशाली और महामंत्र के रूप में जाना जाता है।
सूरज ग्रहण के दौरान आप मंत्र सिद्ध कर सकते हैं – Surya Grahan Timing
सूर्य ग्रहण के दौरान आप मंत्र सिद्ध कर सकते हैं। तो चलिए जानते है की कौन से मंत्र होते है सिद्ध करने के लिए। वैसे तो हमारे हिन्दू धर्म में बताया गया है कि सूर्य ग्रहण का समय बहुत ही खराब और अशुभ होता है लेकिन इस टाइम मंत्र सिद्ध किया जा सकता है। तो चलिए जानते है की वो कौन सा मंत्र है?
” ऊ ऐं ह्लीं क्लीं चामुंडायै विच्चे “
इस मंत्र को आप सूर्य ग्रहण के दौरान सिद्ध कर सकते हैं और शक्ति प्राप्त कर सकते हैं।