Chhath Puja 2023: कोई अगर पूछे की सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत कौन सा है तो उन्हें छठ पूजा व्रत के बारे में बता देना। ये वाणी थी पंडित धीरेन्द्र शास्त्री समेत और भी कई ज्ञानी लोगों की। तो क्या है छठ पूजा व्रत और छठ पूजा इतना महत्व सनातन धर्म के लिए क्यों रखता है और यु पी-बिहार के लोग इस पावन अवसर का इतना क्यों इंतजार करतें है।}
अगर आप भी उत्सुक हैं छठ पूजा के बारे में जानने के लिए या आप छठ पूजा मनाना चाहते हैं और इसका विधि (Chhath Puja Vidhi) जानना चाहते हैं या फिर इसका सही मुहूर्त जानना चाहते है तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए है। क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको छठ पूजा से जुडी छोटी से लेकर बड़ी जानकारी प्रदान करने जा रहें हैं।
छठ पूजा क्यों तथा कब मनाया जाता है? – Chhath Puja 2023
देखिये छठ पूजा व्रत 4 दिनों का व्रत/पूजा होता है जोकि छठी मईया तथा सूर्य देवता को समर्पित होता है। यह पर्व कार्तीक मास के तृत्य से नहाय खाय के दिन से शुरू होता है तथा षष्ठी को छठ के पारण पर खत्म होता है। इस बिच जो लोग इस व्रत को करतें हैं उनको 36 घंटो तक बिना कुछ खाये पिए रहना पड़ता है।
छठ पूजा व्रत मुख्यतः बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। और इस व्रत छठी मईया को पूजा करके होती है और इसकी प्राण प्रतिष्ठा यानि की पारण उगते हुए सूर्य देव को अर्ग देने के बाद होता है। और कहा जाता है की उगते सूर्य को तो अर्ग सब देते हैं लेकिन छठ पूजा व्रत के दिन डूबता सूर्य को भी अर्ग दिया जाता है।
छठ पूजा मानाने का पूर्ण विधि – Chhath puja vidhi 2023
Chhath Puja Vidhi: देखिये छठ पूजा व्रत चार दिनों का व्रत होता है। जिसमे से जो भी व्रती इस व्रत को रखतीं हैं उन्हें 36 घंटे निर्जले रहना पड़ता है। यानि की उन्हें न तो कुछ खाना होता है नहीं कुछ पीना होता है। और साथ ही जिनके घर पर छठ व्रत होता हैं उनके यहाँ कार्तिक मास में प्याज लहसुन का उपयोग नहीं किया जाता है।
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छठ पूजा व्रत – प्रथम दिन – नहाय खाये – Chhath Puja Vidhi
Chhath Puja Vidhi: छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक त्रित्या से होता है। इस दिन को नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जो व्रती छठ पूजा व्रत कर रहें होतें हैं उनके यहाँ नयी चावल से चावल का प्रसाद बनाया जाता है तथा अपने आस पास के लोगों को प्रसाद खिलाया जाता है।
इस दिन खाना बनाने के लिए शुद्ध आम के लकड़ी का उपयोग किया जाता है तथा पीतल के बर्तन में सारे खाने को बनाया जाता है। और जो स्वाद आता है खाने का वो आपको किसी 5 सितारे रेस्टॉरेंट या होटल में भी नहीं मिल सकता है।
छठ पूजा व्रत – दूसरा दिन – खड़ना
Chhath Puja 2023 Vidhi: उसे बाद अगले दिन यानि की चतुर्थी के दिन खड़ना मनाया जाता है और उस दिन से जो व्रती रहतें है वो आखिरी बार प्रसाद ग्रहण करतें है और फिर अगले 36 घंटे बिना कुछ खाये पिए छठी मईया का व्रत रखते हैं।
खड़ना के दिन सुबह में सबके यहाँ रोटी नहीं बनायीं जाती है न ही खायी जाती है चाहे आपके यहाँ छठ पूजा व्रत हो रहा हो या नहीं क्योंकि हदना का महा प्रसाद ही आंटा से बानी हुई रोटियां होतीं हैं। साथ ही में दुद्ध का भी सेवन नहीं किया जाता है क्योनी उस दूध को महाप्रसाद यानी की खीर बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
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खड़ना महाप्रसाद जानकारी – chhath puja prasad
और अगर आपके यहाँ छठ पूजा व्रत नहीं भी हो रहा हो तो भी उस दूध का उपयोग नहीं करनी चाहिए। उसके जगह पर उस दूध को दान कर देना चाहिए। तथा शाम को सभी लोग जिनके यहाँ छठ पूजा का व्रत हो रहा होता है उन यहाँ जाकर प्रसाद ग्रहण करतें हैं। तथा छठी मईया का आशीर्वाद लेते हैं।
chhath puja prasad: और जो उस दिन व्रत कर रहीं होतीं या होतें हैं वो अपने बच्चो के लिए अलग से प्रशाद चढ़ातीं हैं जिसे महाप्रसाद या फिर नेउ भी कहतें हैं। नेउ को लड़कियां नहीं खाती हैं। क्योंकि वो लोग जो व्रती जूठा छोड़ते हैं उसको खाते हैं। नेउ सिर्फ लड़को के लिए होता है। और लड़कियों के लिए व्रती थोड़ा ज्यादा खाना लेतीं हैं और फिर वो लोग उसी प्रसाद को खातीं हैं।
छठ पूजा – तीसरा दिन – संध्या अर्ग – Chhath Puja 2023
Chhath Puja 2023: उसके बाद अगले दिन यानी की पंचमी को संध्या अर्ग होता है तथा इस दिन डूबते हुए सूर्य देब को अर्ग दिया जाता है। और यहीं से बिहार को लेकर इ कहाबत भी है की उगते सूर्य को तो सब जल चढातें हैं तथा पूजे करतें हैं लेकिन जहा आपको डूबते सूर्य को अर्ग पड़ता दिखे तब आप समझ लेना की आप बिहार में हो और अभी छठ हो रहा है।
संध्या अर्ग के दिन सभी लोग छठ घाट जातें हैं दउरा सर पे उठा के। और जो परवैतिन यानी की व्रती जो रहतीं हैं वो उस दिन आम के दातुन से मुँह साफ करती हैं तथा घाट के तालाब में स्नान करतीं हैं। और फिर जब सूर्य देवता अस्त हो रहें होतें हैं और उनकी लालिमा दिख रहती होतीहै तब वो सूर्य देवता तथा छठी मईया को अर्ग अर्पित करतीं हैं।
छठ पूजा – चौथा दिन – पारण – Chhath Puja 2023
फिर उसका अगला दिन होता है पारण का जिस दिन इस मुश्किल व्रत का आखिरी दिन होता है। तथा इस दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्ग चढ़ाना होता है। इसके सभी लोग सुबह सुबह जल्दी तैयार होकर छठ घात जातें हैं। और फिर जब सूर्य भगवन उदय होते हैं और उनकी लालिमा दिखती है तभी उनको अर्ग दिया जाता है।
फिर जब उनको अर्ग चढ़ा दिया जाता है तब फिर व्रती अपना व्रत चीनी तथा निम्बू से बने सरवत को पीकर पूरा करतीं हैं और फिर सभी को प्रसाद बनता जाता है। प्रसाद के रुप में पांच फल, ठेकुआ रहता है। ठेकुआ जिसे कुछ जगहों पर टिकरी भी कहतें हैं जिसे आंटा, चीनी या मीठा तथा सुध घी से बनाया जाता है।
पारण समापन विधि
Chhath Puja Vidhi 2023: और फिर पारण में कढ़ी चावल को मिल बाँट कर खाया जाता है और इस तरह सनातन धर्म का सबसे बड़ा व्रत सम्पन होता है। लेकिन लोगों के दिलों में इस व्रत का महत्व इतना हैं की जो लोग बहार रहतें हैं वो भी अपने सारे कार्यों को छोड़ कर घर वापस आतें हैं। और अपनी माता जी से इस व्रत को करवाते हैं तथा उनका साथ देतें हैं।
तो ये था छठ से जुड़ा एक छोटा सा आर्टिकल। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और आपके छठ पूजा से जुड़े सारे प्रश्नो का उत्तर मिल गया होगा। अगर ऐसा हुआ है और आपको हमारा आर्टिकल थोड़ा भी पसंद आया है तो कमेंट में जय छठी मईया जरूर लिखिएगा।
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