[PDF] Garud Puran: गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा और महत्व: वैष्णव संप्रदाय से संबंधित महापुराण है जिसका हिन्दू धर्म के पुराण साहित्यों में गरुण पुराण का महत्वपूर्ण स्थान है। गरुण पुराण का पाठ किसी मनुष्य के मृत्यु के पश्चात् किया जाता है जिससे मृत व्यक्ति को वैकुंठ लोक की प्राप्ति हो सके। गरुण पुराण के अन्तर्गत कुल 289 अध्याय है तथा 18,000 श्लोकों का वर्णन है। गरुड़ पुराण को तीन भागों में विभक्त किया गया है प्रथम मनुष्य जीवनकाल में सुख दुख का अनुभव द्वितीय कर्मानुसार प्राप्त योनियां और तृतीय भाग में स्वर्ग नरक की प्राप्ति के संबंध में बताया गया है।
गरुड़ महापुराण Highlights
मुख्य लेखक | वेदव्यास जी |
लेख विषय | संपूर्ण गरुण पुराण कथा PDF |
भाषा | हिंदी |
प्रकार | वैष्णव ग्रन्थ |
उद्देश्य | आत्मज्ञान की विवेचना |
सनातन हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराण है जिनमें गरुड़ महापुराण का विशेष महत्व है। इसके उपदेशक भगवान श्री विष्णु जी है। अतः यह एक वैष्णव पुराण हुआ। गरुण पुराण में विष्णु भक्ति का और उनके 14 अवतारों का भी वर्णन मिलता है। गरुण पुराण में श्राद्ध तर्पण, मुक्ति के उपाय व मृत्यु के पश्चात् गति जीवो की गति का विस्तार से वर्णन मिलता है।
गरुड़ पुराण की संरचना -Garud Puran Importance
- गरुड़ पुराण में कुल 19 हज़ार श्लोक थे परन्तु वर्तमान पांडुलिपियों में सिर्फ 18 हजार ही उपलब्ध है।
- गरुड़ पुराण में कुल 289 अध्याय है जो दो भागो में विभाजित है पुर्वखंड तथा उत्तरखंड।
- पुर्वखण्ड में जीव और जीवन के संबंध में कुल 240 अध्याय है।
- उत्तरखंड में 49 अध्याय है जो मृत्यु के बाद जीव की गति और उसके कर्मकाण्डो के संबंध में है। इसको प्रेतखंड या प्रेतकल्प भी कहते है।
- गरुड़ पुराण की रचना अग्निपुराण के पश्चात् हुई।
- गरुड़ जी ने भगवान श्री विष्णु जी से गरुण पुराण की कथा सुनी जिसके पश्चात् उन्होंने अपने पिता महर्षि कश्यप को सुनाई।
- गरुड़ पुराण के पहले भाग में भगवान श्री विष्णु जी के भक्ति, उपासना का वर्णन है और मृत्यु के बाद गरुण महापुराण का पाठ सुनने का प्रावधान है।
- गरुड़ पुराण के दूसरे भाग प्रेत कल्प में मनुष्य जीव के मृत्यु के बाद क्या गति होती है, कर्मकाण्ड के अनुसार किन किन योनियों में भटकता है, नरक में कैसे दंड भुगतने पड़ते है, श्राद्ध व पितृ किस प्रकार करना चाहिए, प्रेतयोनी से कैसे बाहर आए, नरक के दुख से निकलकर मोक्ष कैसे प्राप्त करे जैसे कई विषयों का विस्तार से वर्णन है।
[PDF] Garud Puran: गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा
भगवान श्री विष्णु जी ने वैदिक ऋषि महर्षि कश्यप के पुत्र गरुण को (विष्णु जी के वाहन के रूप में यातायात का साधन है) उपदेश दिया। क्योंकि एकबार जब गरुड़ जी के मन में मनुष्य के जन्म, मृत्यु, स्वर्ग व नरक, विभिन्न बुरे कर्म करने वाले जीवो को मिलने वाली योनियों के संबंध में रहस्य जानने के लिए जिज्ञासा उत्पन्न हुआ तो वे अपने मन में उठने वाले सवालों को विष्णु जी के समक्ष रखा और फिर भगवान विष्णु जी ने उनको उपदेश दिया जिसका वर्णन गरुड़ पुराण (Garud Puran) में विस्तार से है।
गरुण महापुराण को मुख्य गारुणी विद्या भी कहा जाता है। गरुण पुराण का ज्ञान सर्वप्रथम भगवान ब्रह्मा जी ने महर्षि वेदव्यास को प्रदान किया था। बाद में महर्षि वेदव्यास जी ने गरुण पुराण का ज्ञान अपने एक शिष्य जिनका नाम सूतजी था उनको दिया। सूत जी ने आगे चलकर इस ज्ञान को नैमिषारण्य में शौनकादि ऋषि-मुनियों को प्रदान किया।
गरुड़ पुराण विषय -Garud Puran Subects
- पुरवखंड
- उत्तरखंड
- नरक यात्रा
- प्रेत योनि से बचने के उपाय
Garud puran katha in hindi -पूर्वखंड
इस खण्ड के अन्तर्गत भगवान विष्णु जी के भक्ति उपासना के बारे में व संक्षेप में सृष्टि की रचना का वर्णन है। जिसके बाद सूर्य पूजा व अन्य देवी देवताओं के पूजा उपासना विधि, दीक्षा विधि, कीर्तन, विष्णु ध्यान, मृत्युंजय पूजा आदि जैसे कई विषयों का वर्णन है।
Garud puran katha in hindi -उत्तरखंड
इस खंड में कुल 35 अध्याय है जो जीव के मृत्यु पर उसकी अवस्था, स्थिति, स्वरूप, अंतिम समय में किए जाने वाले क्रियाक्रम जिससे उनका उद्धार हो सके, और प्रेत योनि से बचने के उपाय आदि जैसे विषयों का वर्णन है। इस खंड को प्रेत कल्प भी कहा जाता है।
Garud Puran Punishment -नरक यात्रा
जिस प्रकार से मनुष्य अपने मृत्यु के पश्चात चौरासी लाख योनियों में जन्म लेता रहता है एधर उधर भटकता है ठीक उसी प्रकार से नरक में भी कुल चौरासी लाख नरको में अपने कर्म के अनुसार फल भोगता है। गरुण पुराण में स्वर्ग नर्क के संबंध में विस्तार से एक एक करके के कर्मो के आधार पर उसका वर्णन किया गया है। प्रेटकल्प के अनुसार व्यक्ति अपने कर्मो के आधार पर प्रेत योनि को प्राप्त होता है तो वह अपने है परिजनों को व संबंधियों को कष्ट देता हैं।
प्रेत योनि (Garud Puran Punishment) से बचने के उपाय
जब कोई अपने कर्मो के कारण प्रेत योनि में प्रवेश कर लेता है और नरक में दुख सहता है तो उससे बचने के लिए गरुण पूर्ण में कई उपाय बताए गए है जिससे प्रेत योनि से छुटकारा मिल जाता है। सुझाए गए उपायों में सबसे अधिक प्रमुख उपाय दान दक्षिणा, पिंडदान व श्राद्ध कार्य करने का है।
आरती संग्रह
💠 गणेश जी की आरती | 💠 लक्ष्मी जी की आरती |
💠 दुर्गा जी की आरती | 💠 हनुमान जी की आरती |
💠 शिव जी की आरती | 💠 संतोषी माता जी की आरती |
गरुड़ पुराण – PDF
गरुड़ पुराण से संबंधित महत्वपूर्ण सवाल – FAQs
गरुड़ पुराण से संबंधित नीचे कुछ प्रश्न है जिनका उत्तर हमने देने का प्रयास किया है यदि आपको आपके सवालों का उत्तर उचित न लगे और अपूर्ण लगे तो आप निसंकोच कॉमेंट करके पूछ सकते है हम आपके सवालों का पूर्ण जबाव देंगे।
गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए और किसे पढ़ना चाहिए?
दोस्तो गरुड़ पुराण कभी भी किसी भी व्यक्ति के द्वारा पढ़ा जा सकता है यह एक धार्मिक ग्रंथ है जो मनुष्य को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है उसको धर्म का पालन करने के नियम बतलाता है। वैसे यदि हिन्दू धर्म में परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो घर में गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है और यह 13 दिन तक लगातार किया जाता हैं। मान्यता है कि गरुड़ पुराण के श्रवण से मृत व्यक्ति की आत्मा को सद्गति मोक्ष प्राप्त होती है।
गरुड़ पुराण के कितने अध्याय है?
गरुड़ पुराण के उपदेशक अथवा अधिष्ठात्री देव विष्णु जी है। गरुड़ में कुल 289 अध्याय थे जिनमें से अभी मात्र 271 ही बचे है तथा इसमें कुल श्लोकों की संख्या 18,000 है।
गरुड़ पुराण अध्याय 1 में क्या है?
गरुड़ पुराण के अध्याय एक में बताया गया है कि जब कोई व्यक्ति मरणासन्न अवस्था में होता है तो उसको कैसी पीड़ा होती है और उसकी आत्मा मृत्यु के पश्चात् कहां जाती है? उसको किन किन यातनाओं का सामना करना पड़ता है, इसके संबंध में विस्तार से वर्णन है।
गरुड़ पुराण अध्याय 2 में क्या है?
अध्याय दो में वैतरणी नदी और आत्मा के यमलोक में गमन करने के संबंध में वर्णन है। इस अध्याय में बताया गया है कि कैसे पापी आत्मा यमलोक पहुंचती है और वह उसके साथ क्या होता है? और फिर कैसे धरती पर पुनः वापस आती है और कब तक धरती पर रहती है? इन सब का वर्णन अध्याय दो में मिलता है।
गरुड़ पुराण कौन पढ़ सकता है?
दोस्तो गरुड़ पुराण कभी भी किसी भी व्यक्ति के द्वारा पढ़ा जा सकता है यह एक धार्मिक ग्रंथ है जो मनुष्य को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है और पापो से कैसे खुद को बचाया जाए उसके बारे में ज्ञान प्रदान करता है अर्थात् मनुष्य को धर्म का पालन करने के नियम बतलाता है। अतः इसे कोई भी कभी भी पढ़ सकता है।
गरुड़ पुराण में क्या लिखा है?
गरुड़ पुराण में कुल 18000 हज़ार श्लोक है जिनमें से 7 हज़ार श्लोक मानव जीवन के महत्वपूर्ण बातों को बताते है। इसमें इसमें ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, आत्मा, स्वर्ग और नरक का वर्णन मिलता है. गरुड पुराण का पाठ पढ़ने या सुनने से व्यक्ति को आत्मज्ञान सदाचार, भक्ति, ज्ञान, यज्ञ, तप और तीर्थ आदि के महत्व के बारे में पता चलता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार पाप क्या है?
गरुड़ पुराण के अनुसार वो सभी कर्म पाप है जो धर्म के विरुद्ध किए जाते है जिनका वर्णन एक एक करके गरुड़ पुराण में वर्णित हैं।
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