Bhole Baba: सावन माह में भोले बाबा पर जल अर्पण करने के अनेक कारण और अनेक उल्लेख हैं जो हम आपको इस पूरे आर्टिकल में खुल कर बताएँगे | हम सभी हिंदू सनातनी जानते हैं की भोले बाबा के लिए सावन का महीना बहुत ही पावन महीना माना गया है | और इस महीने में भोले बाबा को हर जगह पर जल चढ़ाए जाते हैं | और खास करके तो कुछ जगह पर बहुत ही अधिक संख्या में श्रद्धालु जल चढ़ाते हैं | और सावन के महीने (shravan mahina) का आनंद भरपूर आनंद उठाते हैं जैसे कि पहले समझते हैं भोले बाबा(Bhole Baba) के बारे में, और उनके अलग-अलग नामों के बारे में |
Bhole Baba: भोले बाबा के अलग-अलग नाम और उसका महत्व
Bhole Baba: भोले बाबा के अनेक नाम हैं | पहले उन नामों के बारे में समझते हैं | वैसे तो भोले बाबा कई नाम से जाने जाते हैं | कुछ लोग तो कहते हैं कि भोले बाबा के 1000 नाम है, लेकिन कुछ का कहना है कि प्रमुख रूप से भोले बाबा का 108 नाम का ही अधिक वर्णन मिलता है | जो नाम और मंदिर का उनका उल्लेख इस प्रकार है | हम तो भोले बाबा के पूरे नामों का वर्णन नहीं कर रहे हैं, पर कुछ नामों को हम आपके सामने रखना चाहते हैं |
Bhole baba के नाम का उल्लेख इस प्रकार है :
- महाकाल (Mahakal)
- महादेव (Har Har Mahadev)
- भोले बाबा (Bhole baba)
- आदि देव (Adi Dev)
- शंकर (Shankara)
- भोलेनाथ (BholeNath)
- शिव शम्भु (Shiva Sambhu)
- जटा धारी (Jatta Dhari)
- चन्द्रशेखर (Chandra Shekhar)
- महेश (Mahesh)
- विषधर (Vishdhar)
- उमापति (Ummapatti)
- काल भेरव (kal Bhairava)
- नटराज (Natraj)
- गौरी शंकर (Gauri Shankara)
और भी कई प्रकार के नाम का उल्लेख है जो भोलेनाथ को मिला है लेकिन हम पूरे नाम का वर्णन तो नहीं कर सकते हैं इससे आर्टिकल बहुत लंबा हो जाएगा | उनके हर नाम का अलग ही महत्व है जैसे कि मृत्युंजय नाम का मतलब होता है मौत पर विजय प्राप्त करना, महाकाल, जो कालों का काल हो | उसी प्रकार उनके हर नाम का अलग ही महत्व जो कि पूरा वर्णन करने में एक किताब लिखा जाएगा अब बात करते हो उनके मंदिरों की |
वैसे तो भोलेनाथ के पूरे देश में बहुत सारे मंदिर हैं पर उनमें से कुछ मंदिर खास करके हैं उन सभी मंदिरों का हम वर्णन करना चाहते हैं उन सभी मंदिरों का वर्णन इस प्रकार है |
Har Har Mahadev: Bhole Baba के भारत के कुछ खास मंदिर :
- अमरनाथ गुफा : अमरनाथ गुफा, जो कि, बाबा बर्फानी, के नाम से जाना जाता है, और यह जम्मू कश्मीर में स्थित है, जो भारत का उत्तरी छोर पर स्थित है |
- सोमनाथ मंदिर (गुजरात) : सोमनाथ मंदिर भी भारत के प्राचीन मंदिरों में आता है, और यह भी भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है |
- केदारनाथ धाम : केदारनाथ धाम के बारे में कुछ लोगों का कहना है यहां स्वयं स्वर्ग से हवा आती है | केदारनाथ धाम बहुत ही प्राचीन मंदिर हैं | कुछ साल पहले आए त्रासदी में भी इस मंदिर को कुछ नहीं हुआ था, जो उत्तराखंड में स्थित है|
- भोजपुर शिव मंदिर: भोजपुर शिव मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है, और यह भी बहुत प्राचीन मंदिर है |
- महाकालेश्वर : मध्य प्रदेश की महाकाल की नगरी कहे जाने वाली उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर मंदिर जो महाकाल के नाम से भी जाने जाते हैं, यह भारत के बीचो बीच मध्य प्रदेश में स्थित है |
- काशी विश्वनाथ जो कि उत्तर प्रदेश की एक शहर वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ का मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है और कहा जाता है या मंदिर सभी मंदिरों में श्रेष्ठ है |
- लिंगराज मंदिर उड़ीसा यह मंदिर उड़ीसा के राजधानी भुनेश्वर में स्थित है जिसे लिंगराज मंदिर के रूप में जाना जाता है
रामनाथ स्वामी मंदिर तमिलनाडु यह मंदिर तमिलनाडु की शहर रामेश्वरम में स्थित है इस मंदिर की भी एक प्राचीन कथा है | - जो रामायण काल का ही है इस मंदिर का उल्लेख मिलता है कि इस मंदिर को स्थापित करने के लिए स्वयं राम ने और हनुमान ने मिलकर स्थापना किए थे और भी अनेक कल्प कल्प की बात है |
और भी कई मंदिर हैं हमने कुछ खास मंदिरों के बारे में आपको जानकारी दी है जैसे की और बाबा बैजू नाथ की मंदिर झारखंड के जेसीडी शहर में स्थित है | यहां तो और भी अधिक संख्या में श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं | बिहार के गया जिला के बराबर पहाड़ पर भी एक ऐसे मन्दिर है | और भी अनेक जगह है जहां पर भोले बाबा को जल चढ़ाया जाता है लेकिन हम बात कर रहे हैं सावन में भोले बाबा पर जल क्यों चढ़ाए जाते हैं इसका मुख्य कारण एक वैदिक पुराण से मिलता है |
पुराणों की बात करें तो वैदिक काल में सभी देवता और दानव दोनों ने मिलकर एक योजना बनाई कि हम लोग समुंद्र मंथन करेंगे और समुंद्र से जो भी सामग्री निकलेगा उस पर देवता और दानव दोनों का बराबर का अधिकार होगा इस बात पर देवता और दानव दोनों राजी हो गए हैं उसके बाद समुद्र मंथन शुरू हुआ और समुद्र से अनेक प्रकार की वस्तुएं निकलने लगी और उन सब वस्तुयो को देवता और दानव आपस में बांटने लगे समुद्र मंथन से हमारे माता महालक्ष्मी की प्रगट हुई थी और इंद्र देव का हाथी भी समुद्र मंथन से निकला था और भी अनेक प्रकार की वस्तुएं निकले उसके बाद बारी आती है हक्का हल विष की जो बहुत ही खतरनाक जहर था और उस विष को देखकर देवता और दानव दोनों में हाहाकार मच गया उसके बाद श्रीहरि के कहने पर भोलेनाथ ने विष धारण की विष इतना खतरनाक था कि उसके शहर से भोलेनाथ भी व्याकुल होने लगे और व्याकुल होता देख सभी देवता और दानव भोले बाबा पे जल चढ़ाने लगे और उसी दिन से हम लोग यह सावन माह के रूप में मनाते हैं जोकि भोले बाबा के लिए यह महीना सबसे प्रिय महीने में से एक है