वराह पुराण : पूजा में वर्जित मानी जाती हैं ये चीजें, लगता हैं पाप

वराह पुराण की संपूर्ण जानकारियां: हिंदू और सनातन धर्म में बहुत ही बड़ा महत्व रखने वाले वराहपुराण की संपूर्ण जानकारी आज हम आपको देने की कोशिश करेंगे आखिर कार्य वराह देव कौन थे और वह पुराण की रचना किन्होने किया था वराह पुराण में किस चीज किस चीज का वर्णन लिखा हुआ है|

varaha purana sanskrit hindi pdf: इसमें किस लिए भगवान वराह देव अवतार लेकर अवतरित हुए थे हिंदू धर्म में वराह पुराण की क्या महत्व है ऐसे ऐसे हर एक बात पर आज हम प्रकाश डालने जा रहे हैं तो चलिए आर्टिकल को ज्यादा ना लंबा करते हुए वराहपुराण के बारे में संपूर्ण जानकारी जानते हैं।

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हमारे सनातन धर्म में वराहपुराण की क्या महत्व है आप सभी लोग हमारे हिंदू और सनातन धर्म के भाई-बहन अच्छे से जानते ही होंगे वराह पुराण भगवान विष्णु का ही एक अवतार लिया हुआ रूप है जिसके ऊपर इस पुराण को लिखा गया है जिसे कि हम लोग सनातनी भाइयों एवं बहनों वराह पुराण के नाम से जानते हैं।

वराहपुराण के अनुसार कौन से वराह अवतार थे और कौन से राक्षस के लिए था अवतार।

वराहपुराण: वराह अवतार कौन से अवतार थे और कौन से राक्षस को करने के लिए इस अवतार को लेना पड़ा था। वराह अवतार भगवान विष्णु कहां है 10 अवतारों में से तीसरे नंबर पर आने वाला अवतार था इस अवतार में भगवान विष्णु ने वराह का अवतार लिया था|

वराह पुराण के अनुसार हिरण्याछ नामक एक राक्षस को मानने के लिए हिरणायाछ नामक राक्षस का कुरूरता और पाप इतना बढ़ गया था कि भगवान को स्वयं अवतार लेकर अवतरित होना पड़ा उसे राक्षस ने पूरे पृथ्वी को ही पाताल लोक में लेकर चला गया था जिससे पूरी पृथ्वी पर त्राहिमाम की पुकार गूंजने लगी तब जाकर भगवान विष्णु ने अपना वराह अवतार लेकर उसे राक्षस का वध करते हुए पृथ्वी को अपने दोनों दांतों पर उठाकर पुणे गणतंत्र जगह पर रखा था।

varaha purana sanskrit hindi pdf: वराह पुराण में स्वयं वराह देव ही पूजा करने की सभी विधि को भक्त जनों तक बताया एवं दान पूर्ण करने का भी महत्व को अच्छे ढंग से समझाया पूजा को किस विधि द्वारा किया जाता है तो पूर्ण या पाप की प्राप्ति होती है|

वराहपुराण में इसी तरह के तीरथ, व्रत, दान, पूजा-पाठ से संबंधित सभी महत्वपूर्ण बातों पर भगवान वाराह देव ने ही प्रकाश डालकर सभी भक्तजनों को बताया था तो चलिए जानते हैं किस किस विधि से पूजा पाठ करना चाहिए और किस-किस विधि से पूजा पाठ नहीं करना चाहिए।

वाराह पुराण के अनुसार कौन से नियम से पूजा करना चाहिए या नहीं।

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  • वराहपुराण के अनुसार काले एवं नीले रंग का वस्त्र पहन कर कभी भी पूजा या पाठ नहीं करना चाहिए।
  • वराह पुराण में भगवान वाराह के आदेश अनुसार कभी भी पाप से कमाया हुआ धन से पूजा पाठ नहीं करना चाहिए नहीं तो उसका पूर्ण नहीं मिलता है।
  • वराह पुराण के अनुसार मुर्दे को छूकर कभी भी भगवान की पूजा नहीं करना चाहिए बिना स्नान किए हुए नहीं तो उसे पूजा का कोई महत्व नहीं है।
  • संभोग करके विनाश स्नान किए हुए भी पूजा करना भगवान वाराह को स्वीकार नहीं है।
  • अंधेरे में भगवान की मूर्ति या कैलेंडर को स्पष्ट करना भी या पूजा करना भी भगवान बड़ा देव को बिल्कुल पसंद नहीं है।
  • वराह पुराण के अनुसार गुस्से में की गई पूजा भी भगवान को पसंद नहीं है इसका कोई पूर्ण नहीं मिलता।
  • भगवान को बिना घंटी या संख की पूजा भी स्वीकार नहीं है
  • अगर कोई खाना खाकर बिना कुल्ला किए स्नान किए पूजा करता है तो वह पूजा भी भगवान को स्वीकार नहीं
    है।
  • वराह पुराण के अनुसार दीपक जलाने के बाद बिना हाथ धोएं पूजा करना भी भगवान को उसे पूजा से खुश नहीं किया जा सकता है ऐसे पूजा से भी भगवान खुश नहीं होते हैं।

वराहपुराण को किसने लिखा है

varaha purana sanskrit hindi pdf: वराहपुराण को लिखने वाले हमारे ही देश के महर्षि वेदव्यास जी हैं जो की चिरंजीवी हैं। और उन्होंने कई वेद और पुराणों की रचना की है इसका पूर्ण उच्चारण संस्कृत में किया गया है। और इसे भारत में ही बैठकर लिखा गया है।

वराहपुराण में कितने श्लोक और अध्याय है।

varaha purana sanskrit hindi pdf: वराह पुराण में 217 अध्याय और लगभग 10000 श्लोक को मिला करके लिखा गया यह पुराण है जिसमें से कुछ धर्मप्रदेश कथाएं भी हैं इन सब को मिलाकर इस पुराण की रचना की गई है इसमें भगवान वराह देव के धर्म से जुड़ी जानकारी एवं पूजा पाठ से जुड़ी जानकारी जो स्वयं भगवान ने इस धरती पर अवतरित होकर दिए थे हर एक बात को अच्छे ढंग से बताया और लिखा गया है।

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वराहपुराण के अनुसार वराह देव भगवान विष्णु के ही अवतरित हुए एक रूपों में से एक हैं जिनका अवतार सतयुग के ही युग काल में हुआ था उसे समय राक्षसों द्वारा बहुत अधिक पाप बढ़ जाने के कारण भगवान को अवतरित होना पड़ा था इसके पश्चात भगवान ने उसे रक्षा का वध करके ऋषि और महर्षियों का धर्म का पाठ पढ़ाया और समझाए थे।

और धर्म का स्थापना की थे। भगवान 12 देव ने राक्षसों से धरती को मुक्त कराया और पुणे धर्म की स्थापना की है और सभी को ज्ञान के रूप में पूजा करने की विधि से लेकर संपूर्ण जानकारी को ऋषि महर्षि और सनातन धर्म के सभी भक्तों के साथ साझा किया और सभी को समझाएं

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