Neem Karoli Baba Mandir: नीम करोली बाबा के चमत्कार, जीवन परिचय

Neem Karoli Baba Mandir: आज कल तो तांत्रिक-फकीर बनना एक फैशन हो गया है। लेकिन एक ऐसे बाबा थे, जिनकी सिर्फ फोटो देख कर जूलिया रॉबर्ट, एक हॉलीवुड की कलाकार, इतना प्रभावित हो गई थी कि उसने सनातन धर्म को अपना लिया था।

दिखावे से कोशो दूर वो बाबा, जिन्होनें एक व्यक्ति जो उनके यहां संन्यास लेके उनकी सेवा करने आया था, उन्हें करोड़ो लोगों की जान बचाने की जिमेवारी सौंप दिया था। और उसी बंदे ने आगे चलकर चेचक जैसे ख़तरनाक महामारी का इलाज़ खोजा था।

Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham Photos: जी हां आज के इस आर्टिकल में हम वापस से नीम करोली बाबा के बारे में बताने वाले हैं। हमने पिछले आर्टिकल में आपको नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba Dham) के महान कार्यों के बारे में बताया था।

पर मुझे लगा कि सायद हमारे आर्टिकल को पढ़ने के बाद, आपको नीम करोली बाबा के जीवन के बारे में जानने का मन करे, इसीलिये आज हम यह आर्टिकल नीम करोली बाबा के जीवन के बारे में यानि कि उनका जीवनी लिखने या बताने जा रहे हैं। आशा है कि आज का आर्टिक्ल आप पूरे अंत तक ध्यान से पढ़ेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

नीम करोली बाबा का जीवन परिचय – Neem Karoli Baba Mandir

Neem Karoli Baba Mandir: नीम करोली बाबा जिनका नाम लक्ष्मण दास शर्मा था, उनका जन्म लगभग सन 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रशाद शर्मा था और उनका जन्म सनातन धर्म के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जब वो 11 साल के हुए तब उनके माता पिता ने उनकी शादी करवा दी। जिसके बाद वो गुस्सा होकर अपने घर वालों को छोड़ कर चले गए एक साधु बनने।

बाद में जब नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba Dham) के पिता जी ने उनसे आग्रह किया और उनको मनाया तब वो वापस घर आये। नीम करोली बाबा दो भाई और एक बहन थे। कहा जाता है कि नीम करोली बाबा के पिता जी को किन्ही साधु महाराज ने पहले ही बता दिया था कि उनका बेटा एक महान संन्यासी बनेगा और इन्हीं सब चीजों से अपने बच्चे को बचाने के लिए उन्हें नीम करोई बाबा का शादी 11 साल की उम्र में करवा दिया था.

जब इनहोन 11 साल की उम्र में अपना घर छोड़ा, उसके बाद वो इधर उधर भटकने लगे और फिर वो गुजरात में एक भाव्या नमक जगह पे चले गए। और वहां पे इनहोने (Neem Karoli Baba Mandir) 7-8 साल तक तपस्या की और इन्होने 8 सिधीयाँ हंसिल की।

माना जाता है कि अगर किसी भी साधु को सिधी हाँसिल हो जाती है तो वो सब कुछ बदल सकते हैं। वो सीधे ब्रह्माण्ड से कनेक्ट हो जाते हैं और सृष्टि को अपने बल पे चला सकते हैं। शिधि प्राप्त करना काफी मुश्किल होता है, आपने अक्सर देखा होगा कि साधु-महात्मा अक्सर ध्यान करते रहते हैं और वो अपने ज्ञानन्द्रिओं पर काबू पाने की कोशिश करते रहते हैं और बहुत कम लोग ही इसमे कामयाब हो पाते हैं।

महाराज जी का नाम नीम करोली बाबा कैसे पड़ा -Neem Karoli Baba Mandir

रामदास, जो इनके भक्त थे जिन्हें नीम करोली बाबा ने चेचक का इलाज ढूंढने को कहा था, वो बताते हैं कि एक बार नीम करोली बाबा एक ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में बिना टिकट के चढ़ गए। अब साधु-महात्मा थे, तो कहां इनके पास पैसे होते थे, तो वो बिना टिकट के ही ट्रेन में चढ़ गए। जब टीटी आया और उसने इनसे टिकट मांगी तो इनके पास तो टिकट था नहीं, तो टीटी ने इन्हें वहीं पे उतार दिया।

जहां पे उसने महाराज जी को उतारा वो जगह था उत्तर प्रदेश का फर्रुखाबाद जिले में का एक छोटा सा गांव, नीम करोली। और जब महाराज जी ट्रैन से उतरे तो वह ट्रेन शुरू ही नहीं हुई। तब टीटी और ट्रेन ड्राइवर को एहसास हुआ कि उनलोगों ने कितनी बड़ी गलती कर दी है। तब उन्होंने महाराज जी से माफ़ी मांगी और आग्रह किया की आप कृपा करके ट्रेन में चढ़ जाइये।

Neem Karoli Baba Dham: तब नीम करोली बाबा ने उनके सामने दो शर्त रखा, पहली तो ये कि आपलोग कभी भी संतो से दूरव्यबहार नहीं करोगे और दूसरा ये कि इस जगह पे आप एक स्टेशन बनवाओगे । तब टीटी ने उनके दोनो शर्तों को मान लिया और तब फिर महाराज जी वापस ट्रेन में चढ़े और आशीर्वाद दिया तब जाके ट्रेन वापसी शुरू हुई।

महाराज जी का कैंची धाम कैसे बना – Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham Photos

Neem Karoli Baba Mandir
Neem Karoli Baba Mandir

Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham Photos: बाबा जी का आश्रम तो बहुत सारा है पर जो सबसे प्रसिद्ध आश्रम है उसका नाम है कैंची धाम, जहां उनके समाधि लेने के इतने सालों बाद भी भक्तों की भीड़ कम होने की जगह बढ़ ही रही है। पर महाराज जी शुरु से ही मंदिरो, जंगलो, तथा पेड़ के नीचे अपना जीवन गुजारते थे। बहुत सारे लोग उन्हें अपने घर में, अपने महलों में रहने के लिए बुलाते थे, लेकिन महाराज जी को भगवान जी के चरणों में ही रहना अच्छा लगता था।

और जब इनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी तब भक्तों के कष्टों को देखते हुए और अपने भक्तों के आग्रह पर पहले उन्होंने वृन्दावन में और फिर बाद में जाकर कैंची धाम में आश्रम बनाया। आज महाराज जी के नाम के सैंकड़ों मंदिर और आश्रम है, जिसमें से नीम करोली का कैंची धाम सबसे प्रशिद्ध है। और महाराज जी भी इसी आश्रम में अपना समय बिताना पसंद करते थे।

Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham Photos: कैंची धाम के बहुत सारे प्रचलित किस्से हैं। शायद आपको पता होगा कि हाल ही में जब क्रिकेटर विराट कोहली का फॉर्म खराब चल रहा था तब अपनी पत्नी के कहने पर वो भी नीम करोली बाबा के कैंची धाम आश्रम में गए थे। और रामदास जिनका असली नाम लैरी ब्रिलियंट था, वो भी संन्यास लेने के करोली धाम ही गए थे। मार्क जुकरबर्ग भी जब इंडिया आए थे, तब वो नीम करोली बाबा के आश्रम कैंची धाम गए थे।

महाराज जी ने समाधि क्यों ली – Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham Photos

Neem Karoli Baba Dham: अब आप से बहुत सारे लोग कहेंगे कि जब इतने बड़े महात्मा थे तो फिर इनका देहांत क्यों हो गया, ये अपनी सिद्धियों का इस्तमाल करके अमर भी तो हो सकते हैं। तो सबसे पहले मैं आपको बताना चाहूंगा कि महाराज जी का देहांत नहीं हुआ था, बल्कि उन्होंने स्वेक्षा पूर्वक से अपना शरीर त्याग कर समाधि ली थी।

हुआ ये था कि महाराज जी का जब तबियत खराब हुआ तो इनके भक्त इन्हें हॉस्पिटल ले गए। तो वहां जब डॉक्टर इन्हें इंजेक्शन लगा रहा था या फिर ऑक्सीजन मास्क लगा रहा था तब वो बार बार उन्हें निकाल कर फेंक दे रहे थे। और बोल रहे थे की अब मेरा समय और कार्य पूरा हो गया है और अब मुझे जाना होगा।

उसके बाद उन्होंने (Neem Karoli Baba Dham) अपने भक्तों से गंगाजल मंगवाया और ओम जय जगदीश हरे जपते हुए गंगाजल ग्रहण किये और फिर अपने भक्तों के सामने ही समाधि ले ली। उन्होनें 11 सितंबर 1973 को सुबह की लगभाग 1 बजके 15 मिनट में समाधि ली थी।

1964 में जब इनका आश्रम कैंची धाम बन रहा था तब उन्होंने एक हनुमान मंदिर की स्थापना भी करवाई थी और कहा ये भी जाता है कि महाराज जी हनुमान जी के रूप थे। तो बोलिए जय श्री राम, जय कैंची धाम।

नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है?

फेसबुक (Facebook) कंपनी के संस्थापक Mark Zuckerberg ने कहा था कि अगर आपके जीवन में बहुत ज्यादा नकारात्मकता फ़ैल चुकी है, कोई काम आप अपने पुरे लगन से कर रहे हैं फिर भी आपको सफलता नहीं मिल रही है, तो आप भारत जाइए और वहां पर आप उत्तराखंड में बसे नैनीताल जिले के Neem Karoli Baba Mandir कैंची धाम में जाइए, वहां आपके सारे कष्टों का निवारण बिना बताए हो जाएंगे। बस इन्ही कारणों से Neem Karoli Baba dham प्रशिद्ध है

क्या हम नीम करोली बाबा से मिल सकते हैं?

नहीं आप नीम करोली बाबा से नहीं मिल सकते हैं क्योंकि 11 सितंबर 1973 को सुबह की लगभाग 1 बजके 15 मिनट में समाधि ले ली थी। अब आप से बहुत सारे लोग कहेंगे कि जब इतने बड़े महात्मा थे तो फिर इनका देहांत क्यों हो गया, ये अपनी सिद्धियों का इस्तमाल करके अमर भी तो हो सकते हैं। तो सबसे पहले मैं आपको बताना चाहूंगा कि महाराज जी का देहांत नहीं हुआ था, बल्कि उन्होंने स्वेक्षा पूर्वक से अपना शरीर त्याग कर समाधि ली थी।

कैंची धाम कब जाना चाहिए?

अगर कैंची धाम जाने का अच्छा समय के बारे में बात करें तो आप वैसे तो कभी भी कैंची धाम जा सकते हो लेकिन मार्च से लेकर जून माह के बीच के समय को यहां पर जाने का उपयुक्त समय माना जाता है। जून माह के दौरान ही नीम करोली बाबा के जन्मदिन के दौरान मेला का भी आयोजन किया जाता है। वैसे अधिकतर लोग सितंबर से नवंबर के बीच भी इस कैंची धाम को विजिट करना पसंद करते हैं।

नीम करौली कौन से राज्य में है?

नीम करोली धाम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में पड़ता है। यहाँ आप जब चाहें तब दर्शन प्राप्त करने के लिए जा सकते है। यहाँ पर फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकेरबर्ग गूगल के फाउंडर Larry Page तथा एप्पल के फॉउन्डर स्टीव जॉब्स जैसे लोग भी दर्शन प्ऱप्त करने के लिए गएँ हैं।

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