मार्कण्डेय पुराण : नरक भोगकर आये हुए लोगों की ये हैं 9 पहचान

मार्कण्डेय पुराण से जुड़ी संपूर्ण जानकारी: हमारे सनातन धर्म में मार्कंडेय पुराण की महिमा बहुत ही महान मानी गई है क्योंकि मारकंडे पुराण लिखने वाले ऋषि बहुत ही विद्वान ऋषि थे और मार्कंडेय पुराण में बहुत से जानकारी उन्होंने हमारे सनातन धर्म के भाइयों को बताए हैं।

मार्कण्डेय पुराण कोई भविष्य पुराण और भागवत पुराण की तरह बहुत बड़ा नहीं है। मारकंडे पुराने छोटा सा पुराण है। लेकिन इसमें आपको अनेकों तरह की बात को अच्छे ढंग से सुना समझाई गई है।

इसमें सनातन की महिमा गृहस्ट जीवन से जुड़ी जानकारियां और भी अनेक जानकारियां को सुरक्षित कर कर हमारे भक्त जनों तक पहुंचाया गया है तो चलिए देर ना करते हुए जानते हैं मार्कण्डेय पुराण से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।

मार्कण्डेय पुराण  नरक भोगकर आये हुए लोगों की ये हैं 9 पहचान

मार्कंडेय पुराण में क्या लिखा है?

मार्कंडेय महापुराण से जुड़ी जानकारी मारकंडे महाकाव्य के बहुत बड़ा काव्य नही है फिर भी पुराण है। तो कुछ तो बडा होगा ही चलिए जानते है। मार्कण्डेय पुराण के 137 अध्याय में से शुरू के कुछ अध्याय में 1 से लेकर के 42 अध्याय तक वक्त।

पक्षी थे और श्रोता के रूप में जैमिनी जी थे। जैमिनी जी एक बहुत बड़े ऋषि थे।और अध्याय 43 से लेकर के अध्याय 90 तक वक्त। ऋषि मार्कण्डेय जी और श्रोता क्रप्तुकी जी थे और तथा इसके बाद वाले अध्याय में वक्ता के रूप में सुमेधा जी को जानते है।

और श्रोता के रूप में सुरथ – समाधि जी थे आकार में मार्कंडेय पुराण भले ही छोटा हो लेकिन ज्ञान और मंत्र तंत्र इस पुराण में बहुत ही अधिक संख्या में बताया गया है मार्कण्डेय पुराण बहुत से ज्ञानियों ने मिलकर लिखे थे।

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मार्कंडेय पुराण में सर्वोच्च देवता कौन है?

मार्कंडेय पुराण प्राचीनतम पुराणों में से एक है। यह मार्कण्डेय पुराण बहुत से लोगों के लिए लोकप्रिय पुराणों में से एक है यह मार्कंडेय पुराण को मारकंडे जी ने कौस्ठी जी को सुनाया था। इस मार्कंडेय पुराण में भी ऋग्वेद की तरह ही अग्नि इंद्र शुद्ध सूर्य वरुण चंद्रमा अन्य आदि देवताओं का वर्णन किया गया है।

इसके अलावा भी इस पुराण में और भी कई बातों को बताया गया है जैसे की दिनचर्या गृहस्थ आश्रम नीति कर्म आदि की चर्चा को विस्तार पूर्वक इस मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है।

मार्कंडेय पुराण की दो प्रमुख मंत्र।

मार्कंडेय पुराण के दो प्रमुख मंत्र कौन-कौन सी हैं बहुत से पुराना है बहुत से उसे पुराण में मंत्र भी है लेकिन चलिए जानते हैं मार्कण्डेय पुराण में कौन-कौन से मंत्र हैं।

ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा श्रद्धा नमस्तुते

यह मंत्र महादेवी को अत्यंत थे प्रिय मंत्र माना गया है इस मंत्र का नित्य जब अपने जीवन में जरूर से जरूर करें।

ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकम्मा

यह महामृत्युंजय मंत्र भगवान भोलेनाथ को समर्पित मठ है इसके नियमित जाप करने से अकाल मृत्यु तक को टाल दिया जा सकता है इसी मंत्र के जाप करके ऋषि मार्कंडेय जी ने अपने अकाल मृत्यु को तलकर चिरंजीवी का वरदान प्राप्त किए थे।

मार्कण्डेय पुराण में कितने श्लोक और अध्याय हैं।

मार्कंडेय पुराण में कितने श्लोक और अध्याय हैं मार्कंडेय पुराण का नाम तो आप सभी ने सुना ही है तो चलिए जानते हैं मार्कंडेय पुराण में आखिरकार कितने श्लोक और अध्याय हैं मार्कण्डेय पुराण में कुल मिलाकर 9000 के लगभग श्लोक पाए जाते हैं।

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और इस मार्कण्डेय पुराण में अध्यायों की संख्या की वर्णन की जाए तो 137 अध्याय इस महाकाव्य कहे तो इस महा पुराण में है। चलिए जानते मार्कंडेय पुराण से जुड़ी और भी बहुत से जानकारी जो आप अभी तक नहीं जानते हैं।

मार्कण्डेय पुराण के रचना करने वाले कौन हैं।

मार्कंडेय पुराण के रचना करने वाले आखिर वह इंसान या ऋषि कौन थे चलिए जानते हैं मार्कण्डेय पुराण के रचयिता कौन थे हर वेद और पुराणों के रचना करने वाले हमारे महर्षि वेदव्यास जी ने ही इस महाकाल मार्कंडेय महापुराण की रचना उन्होंने अपने ही कोमल हाथों द्वारा इस पुराण की रचना किए थे लेकिन आखिर महर्षि वेदव्यास की रचना की हुई पुस्तक का नाम मार्कण्डेय पुराण है क्यों पड़ा चले इस पर भी प्रकाश डालते हैं

ऋषि मारकंडे जी द्वारा इस पुराण का कथन करने के कारण इस महापुराण का नाम मार्कण्डेय पुराण कर दिया गया मार्कंडेय ऋषि एक बहुत ही विद्वान ऋषि हैं और या आज तक इस धरती पर जीवित रहने वाले उन सात या आठ चिरंजीवियों में से एक हैं

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इस मार्कंडेय महापुराण में मां देवी चंडी का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है और बताया गया है दुर्गा सप्तशती पाठ भी इस महा मार्कण्डेय पुराण का ही एक अंश या हिस्सा है विभिन्न उपख्यान और महात्मा से भरे इस महापुराण में राजा हरिश्चंद्र की कथा का भी वरन पूर्ण मिलता है इस पुराण में राजा हरिश्चंद्र के करना और मुंह का व्याख्या भरपूर की गई है।

मार्कण्डेय पुराण क्या कहता है।

मार्कंडेय पुराण क्या कहता है इस महा पुराण का कहना यह है कि जो भी व्यक्ति के अंदर दया करुणा नहीं होती है । वह व्यक्ति नरक भोग कर आया है जो व्यक्ति के अंदर भी दया और मोह माया किसी प्राणी के लिए है उसके प्रति अगर से वेदना है।

चाहे वह मनुष्य आदमी हो जानवर हो पक्षी हो तो वह व्यक्ति स्वर्ग होकर आया हुआ व्यक्ति है वह पिछले जन्म में कोई पाप ना करते हुए स्वर्ग प्राप्त करके फिर से जन्म लेकर इस धरती पर आया है। जो भी व्यक्ति में अगर दया ना हो वह नरक भोगी माना जाता है।

इसलिए इस मार्कंडेय महापुराण या कोई भी पुराण का कहना है कि सभी व्यक्तियों के प्रति दया भावना बनाए रखें और किसी के साथ अनादर अपमान ना करें यह हुई संपूर्ण मार्कंडेय पुराण से जुड़ी जानकारी चलिए मिलते हैं और भी आगे की आर्टिकल में विस्तार पूर्व का आर्टिकल पढ़ते रहिए।

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