BANDAR KI KAHANI [Monkey Story in Hindi – Bandar wali kahani – Monkey stories] बंदर मामा की रोचक कहानियां बच्चों के लिए – The crocodile and the monkey story in Hindi for kid bedtime story
बंदर की कहानी के इस लेख में मैं लेकर आया हूं बंदर मामा की रोचक कहानियां बच्चों के लिए बंदर की कहानी बहुत ही ज्यादा मजेदार होती है क्योंकि बच्चे बंदर की कहानी 9Bandar ki kahani) सुनना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं।
बंदर की कहानी – bandar ki kahani
जैसा कि हम सभी जानते हैं जब भी हम अपने बचपन में किसी बंदर को अपने गांव या अथवा शहर में या फिर घर के अगल-बगल किसी बंदर वह उसके बच्चों को देख लेते थे तो बहुत ही ज्यादा खुश हो जाते थे। अपने सभी दोस्तों के साथ मिलकर उन्हें देखा करते थे, क्योंकि बंदरों की हरकत बहुत ही प्यारी होती है। इसलिए हमें और हमारे बच्चों को बंदर की कहानी सुनने में बहुत मजा आता है।
साथियों ऐसे कुछ मजेदार और ज्ञानवर्धक बंदरों से जुड़ी कहानियों का एक संग्रह, आपके साथ इस लेख के माध्यम से साझा किया है आशा करता हूं कि आपको बंदर मामा की रोचक कहानियां बहुत पसंद आएगी लेख को पूरा अवश्य पड़ेगा और बंदर की कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके अपनी राय अवश्य दीजिए।
मगरमच्छ और बंदर की कहानी – Magarmach aur bandar ki kahani
[मगरमच्छ और बंदर की कहानी – Magarmach aur bandar ki kahani]
एक बार की बात है एक बहुत बड़ा जंगल था उस जंगल में एक बंदर रहता था। बंदर बहुत ही बुद्धिमान और शरारती था साथ ही वह दयालु प्रवृत्ति का था। बंदर जंगल में अकेला रहता था उसका कोई दोस्त है कोई साथ ही नहीं था। लेकिन फिर भी वह बहुत खुश और मजे में रहा करता था। वह एक पेड़ पर रहता था जो रसीले अंगूरों से भरा हुआ था। बंदर खूब अंगूर खाता और इधर उधर छलांग लगाता।
एक दिन बंदर जब अपने पेड़ पर बैठकर मज़े से अंगूर खा रहा था तभी वहां चलते-चलते एक मगरमच्छ पहुंचता है जो बहुत ज्यादा भूखा था।
जब मगरमच्छ बंदर को पेड़ पर अंगूर खाते देखता है तो उसे रहा नहीं जाता और बोलता है तुम तो बड़े मजे से अंगूर खा रहे हो और मैं यहां भूखे मरा जा रहा हूं कृपया करके बंदर मामा मेरे भी भूख का निवारण करो।
बंदर जो भी बहुत ज्यादा दयालु था तो उसने मगरमच्छ से कहा दोस्त तुम्हारे लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है तुम कहां मांस खाने वाले और मैं फल खाने वाला बंदर, तुम्हारी भूख मिटाने में कैसे मदद कर सकता हूं।
(Magarmach aur bandar ki kahani)
बंदर की यह बात सुनकर मगरमच्छ बोला, जब तुमने दोस्त मुझे कह ही दिया है तो मुझे यह रसीले अंगूर ही खिला दो मैं इससे ही अपना पेट भर लूंगा।
दोस्तों आपको लग रहा होगा कि मगरमच्छ बंदर को खाने का विचार बना रहा होगा लेकिन आपको बता मगरमच्छ बहुत ही सीधा साधा और अच्छे विचारों वाला था। वह इतना भूखा था कि वह बंदर की दयालुता के कारण उसे अपना दोस्त बना लेता है और उससे खाने में अंगूर मांगता है।
बंदर मगरमच्छ की भूख मिटाने के लिए ढेर सारे अंगूरों का गुच्छा नीचे गिरा देता है मगरमच्छ खूब मजे से रसीले अंगूरों का स्वाद चख ता है और पेट भर कर अंगूर खाता है। जब मगरमच्छ का पेट भर गया तो बहुत खुश होता है और बंदर मामा को धन्यवाद देता है और बोलता है कि अब मैं रोज तुम्हारे यहां यह रसीले अंगूर खाने आया करूंगा क्या तुम मुझे यह अंगूर रोज खिलाया खिलाओगे?
बंदर बोलता है कि क्यों नहीं दोस्त अब इस रसीले अंगूर को सिर्फ मैं ही नहीं तुम और मैं दोनों मिलकर खाएंगे यहां इस जंगल में और भी जंगल है पेड़ है जिन पर और भी बढ़िया बढ़िया फल है जो बहुत ही स्वादिष्ट है अब उन्हें भी खाया करेंगे।
दोस्तों इस प्रकार बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती बहुत गहरी हो जाती है। मगरमच्छ रोज पेड़ के नीचे आता और ढेर सारा फल खाता और बंदर उसे हर रोज नई नई कहानियां सुनाता। मगरमच्छ और बंदर खूब बातें किया करते थे क्योंकि आवे दोनों एक बहुत ही अच्छे दोस्त बन चुके थे।
एक दिन बात ही बात में मगरमच्छ अपने पत्नी के बारे में बंदर मामा को बताता है। बंदर मामा को मगरमच्छ के पत्नी के बारे में पता चलता है तो वह मगरमच्छ से कहता है, दोस्त इतने दिन से तुम अकेले ही इतने सारे फलों का स्वाद चख रहे थे। तुमने कभी भाभी के लिए कोई फल नहीं लिया, चलो आज मेरी तरफ से भाभी को ये रसीले अंगूर खाने के लिए ले जाना।
मगरमच्छ भी बंदर की बात मान लेता है और ढेर सारे अंगूर अपने पीठ पर रखकर अपनी पत्नी के पास जाता है और उसे रसीले अंगूर खाने को देता है। जब मगरमच्छ की पत्नी अंगूर खाती है तो उसके मन में लालच आ जाता है और मगरमच्छ से बंदर को खाने की बात कहती है।
मगरमच्छ अपनी पत्नी की ऐसी बातें सुनकर उसे बताता है, कि बंदर मेरा बहुत ही अच्छा दोस्त है उसी ने इसे तुम्हें खाने के लिए भेजा है और तुम मेरे दोस्त को खाने के बारे में तो सोचना भी मत।
लेकिन मगरमच्छ की पत्नी बहुत ही ज्यादा लालची वह स्वार्थी प्रवृत्ति की थी अतः उसने अपने पति मगरमच्छ को समझाते हुए कहा कि सोचो जब यह अंगूर इतने रसीले और स्वादिष्ट हैं तो इसे खाने वाला कितना स्वादिष्ट होगा ऐसा कहते हुए वह जिद करने लगती है और बोलती है अगर तुमने मुझे वह बंदर मारकर नहीं दिया तो मैं भूखे प्यासे मर जाऊंगी मुझे उस बंदर का मांस ही खाना है उसके अलावा और कुछ नहीं।
मगरमच्छ अपनी पत्नी की ऐसी चीज सुनकर बहुत ही ज्यादा परेशान हो जाता है एक तरफ उसका दोस्त दूसरी तरफ उसकी पत्नी यदि वह अपने दोस्त की जान बताता तो उसकी पत्नी मर जाती। अतः उसने बंदर को लाने का उपाय बनाया और उसके पास गया।
मगरमच्छ बंदर के पास जाता है और पहले की ही तरह खाता है। अंगूर खाने के बाद वह बंदर से कहता है कि दोस्त चलो आज किसी दूसरे पेड़ पर फल खाते हैं मुझे ऐसा लगता है कि नदी के उस पार कहो जो जंगल है उसके फल और भी ज्यादा स्वादिष्ट होंगे क्यों ना हम दोनों साथ चल कर वहां पता लगाया जाए।
क्योंकि बंदर को मगरमच्छ की योजना की कोई जानकारी नहीं थी तो वह उसके साथ चलने के लिए राजी हो जाता है। जब मगरमच्छ बंदर को बीच नदी में लेकर जाता है तब वह अपने पत्नी की बात उसे बताता है और बोलता है कि उसकी पत्नी कई दिनों से बीमार चल रही है और वैध ने उसे एक बंदर का कलेजा खाने के लिए कहा है यदि वह बंदर का कलेजा खाएगी तो उसकी बीमारी जड़ से खत्म हो जाएगी। इसलिए मेरे दोस्त मुझे माफ करना कि आज मैं अपनी पत्नी के कारण तुम्हें मार दूंगा।
Magarmach aur bandar ki kahani – (The crocodile and the monkey story in Hindi for kid bedtime story- bandar ki kahani)
बंदर को मगरमच्छ की बात समझते देर न लगी और उसने बड़ी ही बुद्धिमानी से कहा, दोस्त अरे दोस्त जब यह बात थी तुम मुझे पहले क्यों नहीं बताया और जब भाभी इतनी ज्यादा बीमार हैं तो तुम पहले उनकी जान बचाओ और उनका इलाज करो लेकिन तुमने मुझे भाभी के बारे में बताया नहीं कि वह बीमार हैं नहीं तो मैं अपना कलेजा अपने साथ लेकर आता।
बंदर की बात सुनकर मगरमच्छ बहुत खुश होता है तो बोलता है तो क्या दोस्त तुम अपना कलेजा मुझे दोगे।
बंदर बोला, मेरा कलेजा अंगूर के पेड़ पर पड़ा है उसको साथ लेकर चलना भूल गया। उसके लिए हमें वापस उस पेड़ पर जाना होगा जहां पर मेरा कलेजा है मगरमच्छ बोलता है चलो ठीक है वापस चलते हैं और तुम्हारे कलेजे को साथ लेकर आते हैं।
बंदर और मगरमच्छ जब नदी किनारे अंगूर के पेड़ के पास पहुंचे तो बंदर तपाक से छलांग लगाकर पेड़ पर चढ़ जाता है और मगरमच्छ को कहता है अरे मूर्ख तूने यह कैसे जान लिया कि किसी का कलेजा पेड़ पर हो सकता है जो हमेशा हमारे साथ रहता है हमारे शरीर के अंदर।
फिर बंदर बोला तुम मूर्ख के साथ साथ एक गद्दार भी हो जो अपनी पत्नी मोह के कारण एक दोस्त की जान लेने के लिए ऐसा कदम उठाएं। बंदर बोला बंदर बोला एक गद्दार अब तुम कभी भी अपनी शक्ल मुझे दिखाना मत। तुम्हें इस पेड़ से कोई भी फल नहीं मिलेंगे चलो भागो यहां से मूर्ख कहीं का, मुर्ख मगरमच्छ।
अब क्या होता मगरमच्छ बेचारा अपनी पत्नी की लालच के कारण एक अच्छे दोस्त और रसीले फलों के भंडार को खो देता है और अपने किए पर बहुत ही ज्यादा पछताता है।
बंदर और मगरमच्छ की कहानी से सीख: बच्चों हमें कभी भी अपने सच्चे दोस्तों के साथ गद्दारी नहीं करनी चाहिए।
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