सनातन धर्म में चार वेदों में से एक अथर्ववेद भी है, जिसका महत्व और महिमा आप सभी सनातनी भाइयों एवं बहनों से पैर थोड़े ही है वेद की महिमा क्या है यह आप भली-भांति जानते ही हैं अथर्ववेद में क्या लिखा हुआ है इसके पढ़ने के क्या महत्व है अथर्व में कौन से कौन सी बातों का उल्लेख मिलता है।
अथर्ववेद में कितने मंत्र और श्लोक पाए जाते हैं इन सब बातों से जुड़ी और हर एक बात कर जो इस वेद में प्रमुख है तथा अथर्ववेद के मुख प्रमुख बातों पर आज हम प्रकाश डालेंगे और आपको बताएंगे।
Atharva Veda in Hindi pdf
हमारे सनातन धर्म में वेद का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है और इसका विशेष करके वेद से सभी लोग ज्ञान की प्राप्ति करते हैं और वेद में इन सभी बातों को ही दर्शाया जाता है। कि आप किस तरह जीवन जी सकते हैं किस तरह उपचार कर सकते हैं किस तरह यज्ञ कर सकते हैं किस तरह पूजन कर सकते हैं।
इन सब से जुड़ी बातों को ही वेद में विशेष कर महत्व देखकर के लिखा गया है और आज हम आपको भी यही बात बताने जा रहे हैं कि इस वेद में कौन-कौन सी बातें पर ज्यादा करके प्रकाश डाली हुई है।
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अथर्ववेद के चमत्कारी मंत्र
इस वेद के मंत्रो से कौन-कौन सा उपयोग करके कौन-कौन सिद्धि प्राप्त किया जा सकता है। किस-किस प्रकार की इसमें मंत्र का उल्लेख मिलता है चलिए हम इस पर प्रकाश डालते हुए आगे पढ़ते हैं।
अथर्ववेद के उपचार
अथर्ववेद में उपचार से जुड़ी जानकारी और मंत्र का बहुत बड़ा ही उल्लेख मिलता है जहां आज के वैज्ञानिक और विज्ञान ठीक तरह से उपचार नहीं कर पाते और हमारे वेदांत से हजारों हजार साल पहले मेट्रो और पेड़ पौधों और जड़ी बूटियां द्वारा उपचार की सारी विधीयो को इस वेद में बताया और समझाया गया है।
अथर्ववेद सुरक्षा और संपदा
सुरक्षा और संपदा से जुड़ी जानकारी भी अथर्ववेद में अच्छे ढंग से बताया और समझाया गया है किस तरह मित्रों का उच्चारण करके जो की इस वेद में ही लिखा हुआ है उसे आप अपने राज में अपने देश में सुरक्षा और संपदा कायम कर सकते हैं।
इन सब से जुड़ी बातों पर भी अथर्ववेद में विशेष करके प्रकाश डाला हुआ है और इसे बताया गया है जो कि आज के समय भी में भी समझना नामुमकिन है उसे आज से हजारों हजार साल पहले हमारे महर्षियों ने लिखकर और गाकर इसे बताया है।
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अथर्ववेद जादू टोना pdf
वशीकरण करने के लिए भी अथर्ववेद में एक अलग ही तरह का उल्लेख मिलता है जो कि आज के समय में सभी लोग कहते हैं कि वशीकरण कर पाना नामुमकिन है तो आप एक बात जान लीजिए कि इस वेद में इससे जुड़ी हर एक मंत्र को विशेष करके बताया गया है।
और अगर इस मंत्र को आप ध्यान पूर्वक पढ़कर इसका उपयोग अच्छे ढंग से करेंगे तो आप किसी को भी वशीकरण कर सकते हैं लेकिन वशीकरण करके किसी का फायदा नहीं उठेगा नहीं तो वशीकरण किया हुआ उल्टा भी पढ़ सकता है क्योंकि धर्म में सिर्फ सच्चाई होना ही चाहिए किसी को धोखा देने वाले को धर्म कभी भी माफ नहीं करता है इसीलिए इसे सनातन धर्म कहते हैं।
अथर्ववेद के प्रभावशाली मंत्र।
अथर्ववेद में एक मंत्र का उल्लेख मिलता है जो ही की बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है प्रभावशाली मंत्र का उल्लेखित हर वेद में खास करके इसलिए बताया गया है कि अगर आप इस मंथ का नियमित रूप से जब और पाठ करके पूजा विधि विधान द्वारा करते हैं।
तो आपको इस मंथ का फल बहुत ही जल्द और जरूर से जरूर प्राप्त होगा और इसका फल स्वरुप आप जो भी मन चाहा वरदान चाहेंगे वह भी आपको जरूर प्राप्त होगा लेकिन इस मंत्र को आपको पहले सिद्ध करना पड़ेगा।।
व्याधि निवारण
व्याधि निवारण भी अथर्ववेद में ही लिखा हुआ है जैसे की व्याधि निवारण से आप पर कोई दो तोता करके रोग या कोई भी शक्ति अशोक नकारात्मक ऊर्जा को आपकी और आकर्षित होने से रोकने वाली मंत्र को ही व्याधि निवारण विधि निवारण कहा जाता है जिस की भी आधार बना बहुत ही अच्छे ढंग से बताया और समझाया गया है। इसका मंत्र उच्चारण भी विशेष करके लिखा हुआ है।
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अथर्ववेद के महत्व
वेद का इतना महत्व है कि सनातन धर्म में इतना महत्व वेद रखता है कि इसके महत्व से ही दुनिया पर हर तरह का कार्य किया जाता है इसमें इस प्रकार से हर एक मंथ को पूजा पाठ विधि द्वारा हर एक चीज को इतने अच्छे ढंग से समझाया गया है कि आप आप किस मंथ से किस चीज को सिद्ध कर सकते हैं किसका किस मंथ से उपचार कर सकते हैं सब बातों पर विशेष करके प्रकाश डाला हुआ है अथर्ववेद में जिसे की अच्छे ढंग से समझाया हुआ है।
अथर्ववेद ऋग्वेद के बाद माने जाने वाले वेदांत में अथर्ववेद का महत्व सबसे बड़ा माना गया है और जीते हैं ऋग्वेद के बाद वेदांत के रूप में माना गया है
अथर्ववेद की रचना भी महर्षि वेदव्यास जी ने ही किए हैं उन सभी 4 वेदों को लिखने वाले महर्षि वेदव्यास जी ने है अथर्व वेद को भी लिखा है और इसकी रचना किए हैं इसी प्रकार अथर्व वेद से जुड़ी हर एक जानकारी को हम आप तक पहुंच चुके हैं और आगे भी पहुंचाते रहेंगे बोलिए सनातन धर्म की जय गौ माता की जय श्री वृंदावन बिहारी लाल की जय।।
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