मत्स्य पुराण से जुड़े जानकारी: मत्स्य किसे कहा जाता है, आखिर मत्स्य पुराण कौन से भगवान को मानकर लिखा और बनाया गया है, हमारे हिंदू और सनातन धर्म में कितना महत्व रखता है, इससे भी जोड़ी जानकारी आपको देंगे। आखिरकार कौन से भगवान ने मत्स्य अवतार लिए थे, कौन से ऋषि ने इस मत्स्य पुराण को लिखकर तैयार करने वाले हैं।
यह मत्स्य महाकाव्य में क्या-क्या और कौन-कौन सी चीजों पर प्रकाश डाली हुई है। हमारे धर्म को क्या करने के लिए कहती है और क्या करने के लिए नहीं रहती है। इससे भी जुड़ी जानकारी हम आज आपको देंगे तो चलिए आर्टिकल को लंबा ना करते हुए मत्स्य पुराण से जुड़ी संपूर्ण जानकारी आपको देते चलते हैं।
मत्स्य पुराण किस पर आधारित है।
हमारे धर्म में मत्स्य-पुराण की भी गुण 18 महापुराण में से गिनती किया जाता है इस महापुराण कौन से देवता पर आधारित है हमारे सनातन और हिंदू धर्म में बड़ा महत्व मत्स्य पुराण का हमारे श्री हरि विष्णु ने अपने प्रथम अवतार में मत्स्य यानी की मछली का रूप लेकर इस सृष्टि से कुछ ऋषि और महर्षियों को अपने नाव पर बैठ कर नीचे से सहारा दिए थे।
जब यह पूरा सृष्टि जलमंडल हो रही थी तब हमारे भगवान श्री विष्णु ने अपने पहले अवतार मछली के जो अवतार लिए थे उसे मत्स्य के अवतार भी कहते हैं उसे अवसर में कुछ ऋषियों को फिर से इस धरती को बचाने के लिए एक उसके कुछ समय बाद ब्रह्मा जी ने फिर से इस सृष्टि की रचना की और उसी दिन से यह मत्स्य अवतार को जाना और माना गया।
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मत्स्य पुराण में कितने श्लोक और अध्याय हैं।
मत्स्य पुराण में कितने श्लोक और अध्याय हैं विष्णु के इस अवतार का वर्णन तो कुछ बड़ा ही होगा इसलिए इसमें पुराण में कुछ पहले के ज्ञानियों महर्षियों को मानना था कि 20 हजार श्लोक है और अध्यायों की बात करें तो 400 अध्याय हैं।
लेकिन आज के समय में मत्स्य पुराण में 172 से 192 अध्याय हर एक भाषा में मौजूद है और इस मत्स्य पुराण की शोक की गणना की जाए तो 20000 तो नहीं है पर 13000 से 15000 हर एक संस्कृत तमिल या पांडोली भाषा जो भी भाषा हो उन सब भाषा मिलाकर लगभग यही खंड और यही श्लोक अभी प्रशासन के बाद से इस मत्स्य पुराण में बच रहा है।
मत्स्य पुराण में क्या लिखा है?
मत्स्य पुराण में क्या लिखा हुआ सनातन धर्म भगवान श्री विष्णु प्रथम अवतार पे आधारित इस मत्स्य पुराण में आगे द लिखा हुआ क्या है तो इसमें मुख्य रूप से धर्मस्थलों और तीर्थ स्थलों से जुड़ी जानकारी दिया गया है प्रमुख नदियां को बहुत अच्छे ढंग से बताया है बताया गया है।
जिसमें राज धर्म के कुछ विजय राजाओं की कथा को भी किसने बताया गया है काशी विश्वनाथ नगरी को नर्मदा नदी जमुना नदी सरस्वती नदी और गंगा नदी बद्रीनाथ जगन्नाथ पुरी केदारनाथ रामेश्वरम जैसे ने को तीर्थ स्थल और धार्मिक नदियों की इसमें विशेष गाथा मिलती है।
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मत्स्य अवतार की कहानी क्या है?
भगवान को 10 अवतार की वर्णन भी इस मत्स्य पुराण में मिलता है इस महापुराण या महाकाव्य में कहे तो दान पूर्ण करने और पूजा पाठ करने के बारे में भी विशेष करके बताया गया है।
मत्स्य पुराण को इसलिए खास माना जाता है कि सृष्टि का जब अंत हो रहा था तब कुछ ज्ञानी महर्षियों को भगवान फिर से इस सृष्टि की रचना के लिए बचा रहे थे। जिसमें मनु और संवाद करके दो ऋषि थे और लोग भी थे इसी के कारण इस मत्स्य पुराण को ज्यादा महिमा दिया जाता है।
क्योंकि इसमें रचना से जुड़ी है जानकारी को अच्छे ढंग से बताया जाए सृष्टि की रचना भवन त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश जो है उनकी महिमा और गाथा को विशेष करके बताया गया संपूर्ण अवतारों के बाद संपूर्ण वर्णन मिलता है अब अपने जीवन में एक बार जरूर इस मत्स्य पुराण को पड़ेगा और इसमें लिखी हुई हर एक बात को जरूर पालन कीजिएगा अपने जीवन में एक बार।
भगवान ने मत्स्य अवतार क्यों लिया था?
मत्स्य पुराण भगवान कौन से रक्षा का वध किए थे इस मत्स्य पुराण जो की मत्स्य अवतार भी से भी जाना जाता है इस अवतार में कौन से रक्षा का उन्होंने वध किए थे।
इस अवतार में भगवान ने दैत्य हयग्रीव नामक राक्षस का वध करके उन वेदों की रक्षा किया और उन सभी वेदों को ब्रह्मा जी को सौंप कर उन सभी महान राजाओं को सुरक्षित जगह पर पहुंचा और फिर से इस सृष्टि की रचना की उसे रक्षा के बाद के लिए ही भगवान को मत्स्य अवतार लेना पड़ा था।
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मत्स्य पुराण के रचयिता कौन है?
मत्स्य महापुराण जो भगवान श्री हरि विष्णु के पहले अवतार का वर्णन किया गया है सनातन धर्म बड़ा महत्व रखता है हमारे श्री हरि भगवान हमारे प्रिय भगवान विष्णु के पहले अवतार का वर्णन जिसमें मिलता है। हर वेद की भांति इस वेद की भी रचना करने वाले वही महर्षि वेदव्यास जी ने ही इस मत्स्य पुराण की रचना भी उन्होंने अपने ही कर कमरों द्वारा किए हैं।
हम आज के युग में आपको एक अच्छी और ज्ञान की बात बताते हैं अगर आप धर्म में रुचि रखते हैं तो पुराण वेद रामायण गीता उपदेश भागवत जैसे उपनिषद जैसे बहुत से ग्रंथ है जिसे आप पढ़िए और इसमें लिखी हुई बात को समझिए सिर्फ पढ़ कर आप हमें दिखा सकते हैं।
भगवान को नहीं इसलिए आपको जब भी मौका मिले लाख करोड़ दान नहीं कर सकते हैं 10, 20, 50 दान करते चलिए जिससे कि आपका जीवन में आने वाले कष्ट दूर होंगे ही साथ में ऊपर में जो सीट है। स्वर्ग और नरक की उसे सेट क्या प्रबल दावेदार हो जाएंगे कि आप ही स्वर्ग के प्रबल दावेदारी पेश कर रहे हैं।
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