सावन माह का महत्व जानना है तो पढ़ें यह 5 पौराणिक तथ्य

इस साल के सावन और सोमवार से जुड़ी कहानी सावन और सोमवार से जुड़ी कहानी हिंदू और सनातनी भाइयों से भली भांति परिचित कहानियों में से एक है भगवान भोलेनाथ के लिए समर्पित इस महीने सावन का महीने को भक्तगण और कमरिया लोग बहुत हरसोलश के साथ पूरे साल इंतजार करते हैं।

और सावन महीना आते हैं सभी लोग के लिए वस्त्र में नहाए हुए बाबा को जल अर्पण करने के लिए कई लोग बाबा के बड़े-बड़े मंदिरों में जाते हैं तो कई लोग अपने ही गांव और घर के शिवाले में भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित करते सावन महीने का बहुत बड़ा महत्व माना गया है।

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हिंदू शास्त्र में और हिंदू ग्रंथ में भगवान भोलेनाथ के लिए समर्पित दिया महीना इतना दुर्लभ महीना में से एक है कि इस सावन महीने में जो भी व्यक्ति पूरे महीने भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित करेगा उसके जीवन की सारी कठिनाइयां दूर हो जाएगी।

इस साल के सावन की महत्वपूर्ण बातें।

इस साल सावन की महत्वपूर्ण बातें हैं कि इस साल के सावन में पांच सोमवारी पढ़ रहे हैं जिसे भक्तगण को ज्यादा भक्ति करने का मौका मिलेगा और भगवान भोलेनाथ के नजदीक जाने का ज्यादा मौका मिलेगा उनसे और उनको खुश करने का भी मौका अधिक मिलेगा।

इस सोमवारी की बात करें तो पांच सोमवारी को अलग-अलग विधि द्वारा पूजा अर्चना करें और हर सोमवारी व्रत को आप उपवास करके अपने लिए कोई भी वर मांग सकते हैं।

इस साल का सावन कब है?

इस साल का सावन कब है हिंदू और भगवान भोलेनाथ के लिए सबसे पवित्र महीना में से एक सावन माह इस महीना में कहा जाता है कि शिव और पार्वती का मिलन का यह महीना है तो आखिरकार यह सावन महीना कब शुरू हो रहा है।

हिंदू के पवित्र महीना और धार्मिक महीना में से एक सावन महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह अगस्त 29 तारीख तक रहने वाले सावन महीना में से एक है इस सावन की बात करें तो यह सावन इसलिए खास है क्योंकि एक ही महीने में इस साल 5 सोमवारी भर रही है।

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सावन महीने का मानता है कि भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के मिलन का यह महीना माना जाता है इसी समय मां पार्वती को तपस्या करके भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए अधिक होकर घनघोर तपस्या कर रही थी तब जाकर उन्होंने भगवान भोलेनाथ को पाया था।

और एक मंत्र और है कि भगवान भोलेनाथ हलाहल विष को धारण कर लिए थे तब उनसे उसे विष का प्रभाव झेल नहीं जा रहा था और उन पर ही कुप्रभाव करते जा रहा था जिसके चलते सभी देवता और दानव ने भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़ना शुरू कर दिया।

उसी दिन से या महीना सावन महीने के रूप में जाने जाना लगा यह दोनों साथ-साथ महीने के लिए ही है और भी बहुत सारे चीज है जो सावन महीने से जुड़ी हुई है धार्मिक और ईश्वर से जुड़ने के लिए सावन का महीना बहुत ही शुभ माना गया है।

इस साल के सावन में खास क्या है?

इस साल के सावन में खास क्या है इस साल के सागर में खास यही है कि इस साल सावन के एक ही महीने में पांच सोमवारी पड़ रही है भक्ति गानों को ज्यादा भक्ति करने का मौका मिलेगा ऐसे तो आप भगवान भोलेनाथ का भक्ति कभी भी कर सकते हैं लेकिन सावन में किया भक्ति भगवान और ईश्वर से एक तार की तरह जुट जाती है।

इसलिए सावन महीने को खास कहा जाता है इस साल के पांच सोमवारी की पांचो अलग-अलग महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं के लिए जानी जाएगी इस दिन आप भगवान भोलेनाथ के आराधना कर सकते हैं।

भगवान भोलेनाथ पर जल समर्पित करें घी शहद जो चावल फूल बेलपत्र डूबी शमी का पत्ता भांग धतूरा गंज आदि अन्य कोई चीज भगवान भोलेनाथ पर चढ़ा सकते हैं और मनवांछित फल का सकते हैं।।

सावन में जल चढ़ाने की परंपरा कहां है?

सावन में जल चढ़ाने की परंपरा कहां है भगवान भोलेनाथ के लिए अत्यंत प्रिय महीना में से एक माने जाने वाला सावन माह भगवान भोलेनाथ के जितने भी रुद्र अवतार और नाथ अवतार है उन सभी जगह पर बहुत दिन भारी संख्या में भक्तगण जल चढ़ाते हैं सावन महीने में उन्हें में से एक है।

बाबा विश्वानाथ और बाबा बैद्यनाथ धाम जोगी झारखंड में स्थित है और बाबा विश्वनाथ यूपी के बनारस में स्थित है इन सभी जगह पर भारी से भारी संख्या में कांवरिया लोग जल चढ़ाने के लिए जाते हैं और उनकी लगभग रोज की भीड़ 2 लाख से ढाई लाख रहती है।

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सावन में जल चढ़ाने की परंपरा किन्होने शुरू किए थे?

सावन में जल चढ़ाने की परंपरा किन्होने शुरू किए थे। जल चढ़ाने की परंपरा की बात करें तो सबसे पहले भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने की परंपरा बैजनाथ धाम से स्टार्ट की गई वह स्टार्ट करने वाले कोई और नहीं बाबा आज के भी नाथ जो कि अपने दाहिने कंधे पर ही कामर में जल भरकर पूरे रास्ते ले जाकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित करते थे।

और उसी दिन से बाबा जी के बिना नाथ का नाम से सावन महीने की शुरुआत माने गए और उनके भक्त से खुश होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें की वरदान दे दी और उनका भी आज के युग में मंदिर है सुल्तानगंज में है बाबा को जल चढ़ाने से और उठाने से पहले अजनबी नाथ को जल चढ़ाने की परंपरा भी है।

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