Satyanarayan Katha PDF: सत्यनारायण कथा और पूजा करने की विधि से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां: सत्यनारायण की असली कथा हम लोग घर में क्यों करवाते हैं तथा इस कथा को करवाने के क्या-क्या फायदे हैं। सत्यनारायण भगवान की कथा करने की विधि क्या है तथा इससे जुड़े सवालों का जवाब आज हम आपको इस आर्टिकल ( satyanarayan katha in hindi 🙂 के माध्यम से जवाब प्रदान करने की कोशिश करेंगे।
Satyanarayan Katha PDF: सत्यनारायण भगवान की कथा किस दिन होता है तथा सत्यनारायण भगवान की कथा किस भगवान के लिए किया जाता है यह भी आपको बतलाएंगे। तो चलिए जानते हैं सत्यनारायण व्रत कथा से जुड़ी हर एक रहस्य और यह पूजा करने की विधि और पूजा करने के लिए क्या-क्या चीज की जरूरत पड़ती है सब कुछ।
Satyanarayan Katha PDF: सत्यनारायण व्रत कथा किस-किस समय किया जाता है
Satyanarayan Katha in Hindi: सत्यनारायण कथा किस समय पर किया जाता है? कहा जाता है कि इसके लिए सबसे बढ़िया सुबह या फिर शाम हैं। दोनों समय पर ही कथा को कराई जा सकती है। लेकिन शाम के समय कथा करने का बहुत ही अधिक महत्व है तथा बहुत ही शुभ माना जाता है। क्योंकि कई बार पंचांगों के अनुसार सुबह में कथा करने का तिथि और समय नहीं रहता। इसीलिए सब लोग इस कथा को शाम के समय में करतें हैं।
और सत्यनारायण कथा कभी भी 12:00 बजे के समय में नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस समय को सबसे खराब समय माना जाता है। इसीलिए सत्यनारायण स्वामी कथा हमेशा शाम के समय में ही करना शुभ और अच्छा रहता है।
Shri Satyanarayan Vrat Katha PDF: सत्यनारायण भगवान की कथा में कितने श्लोक और पाठ है?
Shri Satyanarayan Vrat Katha PDF: सत्यनारायण भगवान की कथा में कितने पाठ होते हैं तथा कितने श्लोक होते हैं? भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है इनमें से भगवान सत्यनारायण स्वरूप सत्यनारायण की असली कथा में बताया गया है कि इसके मूल पाठ के पन्नों में लगभग 170 श्लोक संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। और इन 170 श्लोकों की पांच अध्याय में बांता गया हैं।
सत्यनारायण भगवान की कथा किस स्वरूप में है – Shri Satyanarayan Vrat Katha PDF
Satyanarayan Katha in Hindi: हमारे भगवान सत्यनारायण स्वामी किस स्वरूप में है? सत्यनारायण की असली कथा का बहुत स्वरूप है। लेकिन सत्यनारायण स्वामी का स्वरूप हमारे श्री हरि विष्णु जी को माना जाता है। और इसी रूप में पूजा नहीं किया जाता है बल्कि सत्यनारायण भगवान की पूजा विष्णु जी के रूप में कहे या ठाकुर जी के रूप में किया जाता है।
इसका दूसरा अर्थ है कि संसार में एकमात्र भगवान नारायण ही सत्य है। बाकी सब मोह माया है। भगवान की पूजा इसी स्वरूप में की जाती है तथा इनमें से भगवान का सत्यनारायण स्वरूप का वर्णन इस कथा में बहुत विशेष तरीके से करके बताया गया तथा उल्लेख किया गया है।
सत्यनारायण भगवान की कथा का नाम कैसे पड़ा? Satyanarayan Katha in Hindi
Satyanarayan Katha in Hindi: हमारे भगवान सत्यनारायण स्वामी का नाम कैसे पड़ा। सत्यनारायण स्वामी के नाम के पीछे भी एक बहुत बड़ा रहस्य जुड़ा है। जिसके ऊपर से आज हम पर्दा उठाने की कोशिश करेंगे। भगवान विष्णु के स्वरूप को चतुर्भुज स्वरूप कहतें हैं और इसी रूप में संपूर्ण सत्य होने के कारण इस स्वरुप को सत्यनारायण स्वामी कहते हैं।
Satyanarayan Katha in Hindi: नारायण के आगे सत्य इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि भगवान नारायण के अलावा इस धरती पर कोई और चीज या बातें सत्य नहीं है। इसीलिए उनके नाम के आगे सत्य को जोड़ा गया है। उनका नाम सत्यनारायण इसलिए भी पड़ा है क्योंकि इनका स्वरूप में दया, ममता, वत्सल, प्रेम जैसे बहुत बड़े ममता के सागर हैं। और साथ में दंड, क्रोध, युद्ध, विनाश, के आठ भाव समाहित है।
सत्यनारायण की असली कथा के पीछे की क्या कहानी है? Satyanarayan Katha in Hindi
Satyanarayan Katha PDF: सत्यनारायण की असली कथा पूजा के पीछे क्या कहानी है? सत्यनारायण कथा के बारे में एक मानयता है कि सोनकादि ऋषि ने अपने कष्ट मुक्ति और सुख की समृद्धि के सरल उपाय को जानना चाहा जिसके लिए उन्होंने महर्षि सूत्र से कष्ट मुक्ति और सुख समृद्धि के लिए सरल उपाय पूछा।
यही प्रश्न नारद मुनि ने भगवान विष्णु से भी किया था। इस कथा को सुनते वक्त महर्षि ने बताया कि भगवान विष्णु ने नारद मुनि को सांसारिक दुखों से मुक्ति का सरल उपाय बताया और कहा कि सत्यनारायण व्रत कथा कीजिए और सुनिए। और तभी से सत्यनारायण कथा को किया जाने लगा।
Satyanarayan Katha PDF: सत्यनारायण की असली कथा की सच्चाई क्या है?
Satyanarayan Katha in Hindi: सत्यनारायण की असली कथा की सच्चाई जानने के लिए आप सबसे पहले यह जान ले की सत्यनारायण कथा सनातन धर्म में इतना महत्व योन रखता है। क्योंकि सनातन धर्म में इस कथा का बहुत ही बड़ा महत्व माना गया है। और कहते हैं कि जो व्यक्ति चाहे वो औरत हो या पुरुष, अगर वो इस कथा को सुनता है या करता है तो उसे कई लोगों का फल प्राप्त होता है।
तथा शास्त्रों के अनुसार यदि सत्यनारायण व्रत कथा (Shri Satyanarayan Vrat Katha PDF) के साथ और संपूर्ण विधि के साथ पालन किया जाए तो इसे किसी भी मनुष्य को किसी भी प्रकार के दुख या भाई संबंधित सभी तरह के परेशानी भगवान श्री हरि विष्णु हर लेंगे। तथा उसके पापों को भी क्षमा कर देंगे।
सत्यनारायण व्रत कथा कौन-कौन से दिन पर करनी चाहिए? Shri Satyanarayan Vrat Katha PDF
Satyanarayan Katha PDF: कहा जाता है की अगर आप अपने परिवार के साथ घर में पूर्णमाशी के दिन सत्यनारायण कथा को करवाते है तो आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। तथा किसी पर्व पर भी इस कथा को करने की विधि विधान और निर्देश दिया गया है। इसकी पूजा में केले के पत्ते, फल के अतिरिक्त पंचामृत, पंचगांव, सुपारी, पान के पत्ते, तिल, मूली, रोड़ी-कुंकुम, दूर्वा, आदि की आवश्यकता होती है।
जिससे भगवान की पूजा करके उन्हें खुश करने की कोशिश किया जाता है। और हमारे भगवान श्री हरि विष्णु इन सब चीजों से बहुत जल्द ही खुश हो जाते हैं। तथा इस व्रत को करने से एक दिन पहले प्रातः काल उठकर सत्यनारायण व्रत कथा (Shri Satyanarayan Vrat Katha PDF:) का करने का संकल्प ले और कहें कि मैं कल प्रातः काल भगवान सत्यनारायण व्रत कथा और व्रत करूंगा।