सावन माह का महत्व जानना है तो पढ़ें यह 5 पौराणिक तथ्य

सावन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी हिंदू और सनातन धर्म और हमारे पूरे भारत में सावन महीने का इंतजार भक्त लोग हर्षोल्लास के साथ करते रहते हैं कई भाग तो सावन महीने का इस तरह इंतजार करते हैं की आपको बात नहीं सकते हैं। फिर भी सावन महीना है ही बहुत ही पवित्र महीना में सेव करके इस महीने में कमरिया लोग बाबा धाम और अजगेबी नाथ भी और भी और भी बहुत से जगह पर जल चढ़ाने जाते हैं।

अपने-अपने गांव के सवालों में भी जल चढ़ाते हैं तो हर साल सावन कुछ ना कुछ नया खास आता ही है तो चलिए जानते हैं कि इस साल का सावन आखिरकार क्या खास है इस साल के सावन में हम हिंदू भाइयों को भोले बाबा की तरफ से क्या तोहफा मिलने वाली है इन सब से जुड़ी बहुत सी जानकारी को चलिए हम लोग जानते हैं।

Bhole Baba

हिंदू धर्म में सावन महीने को इसलिए महत्व दिया जाता है इस समय भगवान श्री हरि विष्णु घोर निद्रा में चल जाते हैं तो इस पूरे सृष्टि का पदभार कहे या संचार करता हमारे प्रिय भोले बाबा ही हो जाते हैं।

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और इस समय भगवान भोलेनाथ से जो भी व्यक्ति सच्चे दिल और मन से जल चढ़कर उनके आराध्य करेगा उनका ध्यान करेगा। उसे व्यक्ति को किसी प्रकार का कोई कास्ट नहीं हो सकता है तो चलिए जानते हैं इस साल के समान में कौन-कौन सी बातें खास इस साल पांच सोमवार या पड़े रहे हैं।

सावन महीने का इतना महत्व क्यों है?

आखिरकार सावन महीने का इतना महत्व क्यों दिया गया है। सावन महीने को इसलिए महत्व दिया जाता है कि इस समय आप भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़कर उनसे मनवांछित भालू की प्राप्ति कर सकते हैं इस समय कोई भी हिंदू धर्म में शुभ काम नहीं किया जाता है शादी विवाह जैसे गृह प्रवेश और भी और भी बहुत से जो शुभ काम होते हैं।

वह इस सावन और भादो मन में नहीं किया जाता है इस समय केवल भगवान भोलेनाथ के लिए महीना को माना गया इसलिए उनके भक्तगण इस समय सावन महीने का इंतजार पूरे साल करते हैं और केवल और केवल इस महीना को भगवान की दृष्टि से देखा जाता है इसमें इन्हें पढने वाली दो एकादशी की बहुत ही दुर्लभ एकादशी में से एक है

सावन से जुड़ी कथा

सावन से जुड़ी कथा के हिंदू और सनातन धर्म में शामिल महीने का इतना महत्व क्यों दिया जाता है तो इसका मुख्य रूप का यही है वर्णन मिलता है सतयुग में जब समुद्र मंथन हो रहा था उसे समय समुद्र मंथन से हलाहल विष निकालने के कारण पूरे संसार में कोहराम मच गया था उसे विष का प्रभाव इतना था कि जो भी व्यक्ति हल विष के नजदीक आ जाता था उससे वह व्यक्ति प्रभावित हो जाता था जब सभी लोग तरही मात्रही मांग करने लगे तब भगवान भोलेनाथ ने ही उस विष का पान किया

भगवान भोलेनाथ ने जब हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किए तो उसी दिन से उनका नाम नीलकंठ पर गया उसे जहर का प्रभाव इतना शक्तिशाली था कि उसे भगवान भोलेनाथ स्वयं को भी नहीं बचा सके और उन्हें व्याकुलता महसूस होने लगी।

तब वहां पर मौजूद सभी देव और दानव भगवान भोलेनाथ पर समुद्र से जल लेकर चढ़ना शुरू कर दिए भगवान भोलेनाथ को राहत तो मिले लेकिन व्याकुलता का शांत नहीं हुई और कंठ में 20 रहने के कारण उनका एक नाम नीलकंठ जो पड़ा हुआ भी बहुत बड़ा महत्व रखता है नाम।

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विष के प्रभाव से मां पार्वती हो गई काला

हलाहल विष का प्रभाव इतना शक्तिशाली था उसे स्वयं माता शती भी या कहे तो मां पार्वती भी नहीं बच सकी और उनके रूप में कालापन आने लगे और उनको भगवान भोलेनाथ के समीप रहने से घुटन सी महसूस होने लगे लेकिन भगवान भोलेनाथ त्रिलोक के स्वामी होने के कारण इन सभी बातों को समझ कर मां पार्वती को राहत दिए।

सावन का महत्व

सावन का महत्व इसलिए है कि भगवान सावन के महीने में हलाहल विष के कारण व्याकुलता महसूस करते हैं जो भी व्यक्ति भगवान भोलेनाथ पर इस समय जल चढ़ता है शहद चढ़ता है घी चढ़ता है।

तो भगवान भोलेनाथ को उससे राहत मिलती है जिस भगवान भोलेनाथ तो ऐसे ही भोला ही हैं तुरंत किसी को आशीर्वाद दे देते हैं जब भगवान भोलेनाथ सावन महीने में जलपान करते हैं तो उसे व्यक्ति को तुरंत थे मनवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है।

सावन के सोमवार का महत्व।

सावन के सोमवार से जुड़े महत्व भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय दिनों में से एक माने जाने वाला सोमवार का दिन और उससे भी खास बातें है कि सावन में परने वाले उस सोमबार की बात करें तो भगवान भोलेनाथ का अत्येंत प्रिया दिनों में से एक माना जाता है।

सावन में जो सोमवार के दिन उपवास कर कर भगवान भोलेनाथ का आराधना करता है उसे व्यक्ति के जीवन में आने वाले अकाल मृत्यु भी टाल जाती है धन्य धन की कोई कमी नहीं रहती है पुत्र प्राप्ति का योग बन जाता है और उसके जीवन में आने वाले सारी कठिनाइयां दूर हो जाती है।

सावन के एकादशी का महत्व

सावन में पड़ने वाली दो एकादशी का भी बहुत बड़ा महत्व दिया जाता है सावन महीना भक्तों के लिए बहुत बड़ा महत्व रखने वाले महीना में से एक है तो उसी प्रकार सावन में पढ़ने वाली दो एकादशी का व्रत का भी बहुत बड़ा महत्व माना गया है

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सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए कांवरिया लोग जल लेकर सुल्तानगंज से बाबा बैजू धाम और काशी विश्वनाथ जैसे अनेक बाबा के नगर में भारी संख्या में लोग सावन महीने में भीड़ लगाते हैं और भक्तगण के मुंह पर बस एक ही नारा रहता है।

बोल बम बोल कबरिया बोल बम बाबा नगरिया दूर है जाना जरूर है जैसे अनेक बहुत सारे नारा लगाते हुए भक्तगण बाबा के नगरी पहुंचे हैं और उनको जल अर्पण करते हैं और अपने सुख शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और पूरी सृष्टि की शांति के लिए कुछ भक्ति ज्ञान प्रार्थना करते हैं।

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