छांदोग्य उपनिषद् से जुड़े रहस्यमयी राज, जानकर हो जायेंगे खड़े रोंगटे

छांदोग्य उपनिषद् से जोड़ी जानकारी हिंदू और सनातन धर्म में उपनिषदों को बहुत बड़ा महत्व दिया गया है हमारे हिंदू धर्म को ही ग के अनुसार ही महत्व दिया गया है। जैसे में कुछ है वेद कुछ है पुराण उसी अनुसार उपनिषदों को भी जगह मिले उपनिषद वेदों से और पुराने से मिला ज्ञान को निचोड़ करके उपनिषद को लिखा और बनाया गया है।

तो आज हम उन्हें उपनिषदों में से छांदोग्य उपनिषद से जुड़ी जानकारी के बारे में बात कर रहे हैं। आखिरकार इस उपनिषद में क्या लिखा हुआ है। इस उपनिषद कौन से वेद से लिया हुआ है।

छांदोग्य उपनिषद् में कौन-कौन से ज्ञान और उसकी जानकारी दी गई है। जैसे और भी बहुत सारे जानकारियां जो हम आज आपको देंगे तो चलिए देर ना करते हुए छांदोग्य उपनिषद से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करते हैं।

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छांदोग्य उपनिषद् को कब लिखा गया है?

छांदोग्य उपनिषद् को कब लिखा गया यह कहना तो बहुत ही मुश्किल है लेकिन कुछ पुराना और ज्ञानियों की बात माने तो छांन्दोग उपनिषद को आज से लगभग 800 ईसा पूर्व से लेकर 600 ईसा पूर्व पहले लिखा गया है जो की आठवीं से छठी शताब्दी ईसा पुर्व के बीच माना जाता है।

आप सभी सनातनी और हिंदू भाइयों को पता चल गया हुआ कि आज से लगभग कितना साल पहले छान्दोग्य उपनिषद को लिखा गया था तो चलिए और भी जानते हैं उपनिषदों से जुड़ी जानकारी कौन-कौन सी है।

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छांदोग्य उपनिषद् किसका वर्णन किया हुआ है?

छांदोग्य उपनिषद् किसका वर्णन किया हुआ है। उपनिषद और हिंदू ग्रंथो के वर्णन के अनुसार इसमें मिलता है कि इसमें आठ में प्रपाठक के 15 में खंड के अनुसार ब्रह्मा जी ने प्रजापति जी को यह उपनिषद से जुड़े संपूर्ण जानकारी को दिए थे।तप प्रसाद प्रजापति जी ने इस उपनिषद की जानकारी मनु नामक एक व्यक्ति को उन्होंने छान्दोग्य उपनिषद के बारे में संपूर्ण जानकारी दिये।

छान्दोग्य उपनिषद से जुड़ी जानकारी मनु जी ने अपने पुत्र को दिए इसके बाद से इस पूरी जानकारी को विस्तार पूर्वक हमारे संसार में प्रस्तुत किया गया। इस छांदोग उपनिषद का वर्णन और पाठक के रूप में मुख्य रुपए ब्रह्मा भेद माना जाता है।

छांदोग्य उपनिषद् में कितने अध्याय है?

छांदोग्य उपनिषद् में कितने अध्याय है। इस उपनिषद की बात करें तो यह बहुत बहन बड़ा उपनिषदों में से एक माना जाता है। और इसकी रचना सामवेद से की गई जाने वाले उपनिषदों में से एक है या उन 108 उपनिषदों में से या कहे तो उन 13 महा उपनिषदों में से 9 में नंबर पर आने वाले उपनिषद है।

अब इसकी बात करते अध्याय की तो यह उपनिषद् में कुल मिलाकर 9 अध्याय पाए जाते हैं हमारे हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व प्रति है या उपनिषद क्योंकि इस ब्रह्म पुराण से लिख भी लिया गया और लिखा गया उपनिषेध है ।

छांदोग्य उपनिषद् में शुरू में रिचा शाम की रचना के रूप में दर्शाया गया है। भगवान भोलेनाथ की ओमकार के रूप का वर्णन और उसकी व्याख्या की गई है। ओंकार को व्याख्या से लेकर के देवासुर संग्राम से जुड़ी संपूर्ण जानकारी को इस उपनिषद में दी गई है ओमकार का अर्थ है उदिग्थ जैसे स्वर और सास से जुड़ी बहुत सी जानकारी
को दर्शाया गया है।

छांदोग्य उपनिषद् को रचना करने वाले कौन हैं?

सभी उपनिषदों की रचना करने वाले हमारे महर्षि वेदव्यास जी ने ही इस उपनिषद की भी रचना किए हैं हिंदू और सनातन धर्म महर्षि वेदव्यास जी का जो भी व्यक्ति सुबह-सुबह नाम भी लेता है उनके सारे रोग कष्ट दुख दर्द दूर हो जाते हैं महर्षि वेदव्यास जी को भगवान के समान गिना जाता है।

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छांदोग्य का अर्थ क्या है?

छान्दोग्य का अर्थ क्या है हिंदू और सनातन धर्म में ग्रंथ के जितना महत्व उतना ही उसे अर्थ काव्य महत्व मिलता है। हम लोग उपनिषद एक संस्कृत ग्रंथ है जो कि हिंदू और संस्कृति धर्म के स्कूलों के लिए बहुत ही बड़ा ग्रंथ के रूप में जाना जाता है।

छांदोग्य नाम संस्कृत के छन्द से लिया गया अर्थ है। या कहें तो शब्द है जिसका अर्थ है व्याख्या मी और उपनिषद का अर्थ है पैरो पर बैठना ईसी अर्थ से लिया गया यह उपनिषद का अर्थ है‌।

छान्दोग्य उपनिषद में क्या लिखा हुआ है?

छांदोग्य उपनिषद् में क्या लिखा हुआ है? इस उपनिषद में भी कुल मिलाकर यही लिखा है, कि आप केवल और केवल अपनी मुक्ति का मार्ग ढूंढते रहिए ब्रह्म ही एक मान मार्ग है, जिसे आप पा सकते हैं। इसे पाने के लिए आपको कड़ी मेहनत से गुजरना पड़ेगा और कड़ी भक्ति करना पड़ेगा।

आप अपने जीवन में एक भी किसी भी प्रकार के कोई भी व्यक्ति को कष्ट ना दे इसमें विद्या से जुड़ी सर को भी लिखा गया है। छांदोग्य उपनिषद् में संस्कृत के शब्दों को दर्शाया गया है। बहुत बड़ा होने के कारण इस उपनिषद में बहुत से बातें को गिना जाता है। इस उपनिषद को बड़ा महत्व मिलता है। इस उपनिषद को वेदांत के रूप में गिना जाता है।

छांदोग्य उपनिषद् का महत्व

छांदोग्य उपनिषद् बहुत बड़ा होने के कारण और इसे सामवेद से लिए हुए कुछ श्लोक और अध्याय को कारण और हमारे परम पूज्य ब्रह्मा जी द्वारा इसकी की गई वर्णन के कारण इसका बहुत बड़ा महत्व दिया गया है जिसमें ब्रह्मा आप ही परम सत्य और सत्य है।

गुरु पिता ऋषि और उनके पुत्र श्लोक आदि का मुख वर्णन मिलता है। सेट केतु के बीच में एक चर्चा के रूप में एक नाटक संवाद शैली के रूप में प्रस्तुत करता है।

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हमारे श्री नारायण हमारे भोलेनाथ हमारे ब्रह्मा जी के बारे में भी बहुत से जानकारी को और मित्रों को इसमें बताया गया है परम सत्य हमारे परम पूज्य परमात्मा वही माना गया है। इस बात को भी इस उपनिषद ने बताया गया है।

लेकिन आप केवल और केवल किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में जरूर सहायता कीजिए इससे बड़ा कोई धर्म नहीं और किसी व्यक्ति को कष्ट पहुंचाना उससे बड़ा कोई पाप नहीं केवल और केवल भक्ति करते रहिए उससे ही आपकी मुक्ति और मोक्ष का हार या कहें तो रास्ता आसान होता जाएगा।

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