भागवत पुराण हमारे हिंदू और सनातन धर्म में भागवत पुराण की कितनी महत्वता है यह आप लोग से भली भांति जानते ही होंगे इस पुराण और भागवत कथा हर जगह पर आपको कहीं ना कहीं इस यज्ञ या जग की माध्यम से सुनने को मिलेगा कहीं-कहीं। कथावाचक किसे कहते हैं?
कहीं-कहीं ऋषि महर्षि और मनी आज के युग में भी भागवत कथा का विस्तार पूर्वक बात के जग को संपन्न करते हैं। और सभी भक्त जनों को इस कथा कथा सुनाते हैं। भागवत कथा एक बहुत ही महत्व रखने वाली कथा है। भागवत पुराण बहुत है पूजनीय पुराणों में से एक है और इसमें अनेकों जानकारियां दी गई है तो चलिए जानते हैं इस पुराण से जुड़ी संपूर्ण जानकारियां।
भगवत शब्द का अर्थ क्या है।
भगवत शब्द का अर्थ क्या है भगवत शब्द का अर्थ यह है कि। भक्ति ज्ञान बैराग और तारन भगवत शब्द का मुख्य अर्थ होता है। इसीलिए भगवत शब्द का इतना महत्व दिया जाता है।
इसलिए भागवत पुराण का भी इतना महत्व दिया जाता है सनातन धर्म बहुत बड़ा महत्व रखती है इस पुराण की पुस्तक और इस पुराण की कथाएं तो चलिए इसकी पूर्ण जानकारी लेते हैं।
भागवत पुराण में कितने श्लोक अध्याय और स्कंध है।
भागवत पुराण में कितने श्लोक और अध्याय और स्कंध हैं। भागवत पुराण बहुत बड़ा और महत्व रखने वाले पुराने में से एक पुराण माना जाता है तो आखिरकार इस पुराण में कितने श्लोक हैं और कितने अध्याय हैं और कितने स्कंध हैं इन सबसे जुड़ी जानकारी भी समाज आपको देंगे।
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भागवत पुराण में कुल मिलाकर के 335 अध्याय को जोड़ा गया है। जिसे जोड़कर पूर्ण इस पुराण की रचना की गई है। भागवत पुराण के श्लोक की गणना की जाए तो कुल मिलाकर 18000 श्लोक इस पुराण में पाए जाते हैं। 18000 अपने आप में ही एक बहुत बड़ा अंक है। भागवत पुराण में स्कंद की संख्या कुल मिलाकर 12 हैं।
भागवत पुराण में क्या लिखा है?
भागवत पुराण वैष्णो धर्म का एक बहुत ही बड़ा केंद्र बिंदु है। यह एक ऐसा ग्रंथ है जो की धर्म से कंपटीशन करता है और वेदों को भी कंपटीशन में लाता है या अलग ही धर्म का ग्रंथ है। जिस्म की भक्ति अतः मोक्ष आत्म ज्ञान और आनंद की प्राप्ति ओर ले जाती है।
हालांकि इस पुराण का दावा है कि राम और कृष्ण की आंतरिक प्रकृति और भगवान की बाहरी रूप वेदों के समान ही है। और पूरे संसार और ब्रह्मांड और धरती को इसी शक्ति के द्वारा बचाया जाता है और सुरक्षित रखा जाता है।
भागवत पुराण हिंदुओं के 18 महा पुराणों में से आने वाले एक पुराण है। यार जिसे कहें तो श्रीमद भगवतम या केवल भगवतम भी कर सकते हैं। इस पुराण का मुख्य उद्देश्य केवल और केवल भक्ति ही है।
भागवत महापुराण में भगवान श्री कृष्ण को सभी देवों के देव या कहे तो स्वयं अवतरित होकर आने वाले देव के रूप में इसमें बताया गया है। इसके अपडेट इस भागवत महापुराण में भक्ति का रस निरंतर एवं पूर्ण मिलता है।
भागवत कथा की उत्पत्ति कैसे हुई।
भागवत कथा की उत्पत्ति कैसे हुई है इस कथा को सबसे पहले ब्रह्मा जी ने अपने मानस पुत्र नारद जी को भागवत कथा पूर्ण रूप से सुनाई नारद जी ने इस कथा को महर्षि वेदव्यास को सुनाया इस प्रकार महर्षि वेदव्यास जी ने भी इस कथा को अपने चेले या कहे तो शीश या राजा या कहे।
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तो महाराज परीक्षित को उन्होंने इस पूरे कथा की संपूर्ण जानकारी देखकर धन्य कर दिए। इसीलिए इस भागवत कथा की उत्पत्ति का मुख्य महर्षि नारद जी को जो कि ब्रह्मा जी के ही मानस पुत्र थे उनको जाता है भागवत कथा के संपूर्ण जानकारी नारद जी ने ही इस पूरे संसार में प्रचलित करने वाले प्रथम व्यक्ति या भगवान थे।
भागवत पुराण के रचयिता कौन हैं?
वैसे तो बहुत पुराण और वेदों को लिखने वाले महर्षि वेदव्यास जी ने ही इस पुराण की पूरी पुस्तक को संस्कृत भाषा में अपने ही हाथों द्वारा भारत में ही बैठकर पूर्ण लिखकर तैयार किए थे।
भागवत कथा की सार क्या है?
श्रीमद् भागवत कथा में मुख्य रूप से भगवान श्री कृष्ण को देवों का देव बताएं गया है। और स्वयं को भगवान के रूप में दर्शाया गया है। भागवत कथा भक्ति रस और मोक्ष स्तोत्र आनंद ज्ञान यह सब तो प्रचुर मात्रा में बताया ही गया है।
जिसमें भगवान श्री कृष्ण के अनेकों लीलाओं का वर्णन मिलता है जिसे सुनने मात्र ही किसी भी मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति ही मिल सकती है। कथा सुनकर ही राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति मिल पाई थी जिसके चलते उन्होंने पूरे 7 दिन तक भागवत कथा सुनी और तत्पश्चात उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गई ।
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जीवन में किसी भी कठिनाई को दूर कर सकता है भगवत पुराण
अगर आपके जीवन में कभी भी कठिनाई और आश्चर्य पीड़ा महसूस होने लगे तब यार लगे कि अब कोई रास्ता नहीं है तब आप एक बार जीवन में श्रीमद् भागवत कथा पढ़ लीजिएगा अगर पढ़ना ना संभव हो तो एक बार आप किसी कथा वाचक से इस पूरे कथा को ध्यानपूर्वक पढ़ लीजिएगा या सुन लीजिएगा।
बोलिए श्री वृंदावन बिहारी लाल की जय श्री कुंज बिहारी लाल की जय कृष्ण कन्हैया लाल की जय हर हर बम बम भोले नाथ की जय।