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Aarti ke niyam vidhi [आरती के नियम]: आज का यह लेख बहुत विशेष है क्योंकि आज हम बात करने वाले है आरती के नियम (Aarti ke niyam) के बारे में। जिसमें हम आपको बताएंगे की आरती करने का सही तरीका क्या है और आरती कैसे करते हैं किन जरूरी बातों का रखना पड़ता है विशेष ख्याल?
यदि आप हिन्दू धर्म से है और आप भक्ति भाव वाले व्यक्ति है तो यह आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण लेख है। Aarti ke niyam पूरा अवश्य पढ़े, क्योंकि इस लेख में उपलब्ध सभी जानकारी हमने अलग अलग स्रोतों से और ग्रंथ, पुराणों से संकलित की है जिससे आपको आरती करने से संबंधित नियम की जानकारी मिल सके।
हिन्दू धर्म में किसी भी पूजा पाठ में भगवान जी की आरती करना बेहद जरूरी होता है क्योंकि आरती के बगैर किए गए पूजा अर्चना का फल नहीं मिलता | ऐसा सनातन धर्म में मान्यता है। अतः हमें पूजा आराधना करने के पश्चात् आरती अवश्य करनी चाहिए।
यदि आप सनातन धर्म से है अथवा जुड़े है तो आपने ध्यान दिया होगा कि जब भी कहीं कोई पूजा पाठ होता है भले ही वो किसी का घर, स्थान या फिर मंदिर है कहीं पर भी पूजा होती है तो अंत में आरती अवश्य की जाती है और यह बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ग्रन्थों के अनुसार पूजा तभी संपन्न मानी जाती है जब आरती की जाती है और आरती करने के बाद ही पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।
हमारे उन्हीं सनातन धर्म के धार्मिक और पूज्यनीय ग्रन्थों व शास्त्रों में आरती करने की विधि और नियम का वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है। जिस प्रकार हम अपने पूजा अर्चना करते समय नियम और सही विधियों का ध्यान रखते है वैसे ही आरती के समय अथवा आरती करते समय उससे संबंधित विधियों और नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है। अतः आइए जानते है आरती के नियम (Aarti ke niyam) और उससे जुड़ी ध्यान देने वाली बातों को।
Aarti ke niyam– आरती के संबंध में दोहा
जिस घर होत आरती, चरण कमल चित्त लाय ।
कहां हरि बासा करें, जोत अनंत जगाय ।।
दोहे का अर्थ
उपरोक्त दोहे में कहा गया है कि “जिस घर में ईश्वर के चरण कमलों की पूजा आराधना व आरती पूर्ण श्रद्धा के साथ किया जाता है और प्रभु के लिए दीपक प्रज्वलित किए जाते है ऐसे घर में अथवा स्थान पर स्वयं भगवान सदैव वास करते है।”
पुराणों के अनुसार आरती के नियम व फल (Aarti ke niyam)
स्कन्द पुराण के अनुसार आरती के नियम के संबंध में बताया गया है कि वह व्यक्ति जिसे आरती के मंत्रों का ज्ञान नहीं है और न ही उसे आरती के विधि के नियमो के बारे में कोई जानकारी है ऐसे में यदि वह व्यक्ति किसी पूजा आरती में पूर्ण भक्ति भाव से श्रद्धापूर्वक सम्मिलित होता है और पूजा व आरती का आनंद लेता है तो उसकी भी पूजा स्वीकार होती हैं और पूरा फल प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार आरती के नियम – Aarti ke niyam
हमारे सनातन धर्म में ईश्वर भक्ति व ईश्वर पर अटूट विश्वास रहा है ऐसे में जब भी कोई हिन्दू भाई बहन कोई शुभ कार्य करते है तो पूजा आराधना और अपने इष्ट देव की आरती अवश्य करते है। शास्त्रों के अनुसार बगैर आरती के पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है।
स्वयं भगवान श्री हरि ने कहा है कि जो कोई भी जन गौ के घी से दीपक जलाकर पूर्ण श्रद्धाभाव से आरती करता है उसे कोटि कल्प तक स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। जो व्यक्ति कपूर से भगवान की आरती करता है उसको अनंत में प्रवेश मिलता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। किन्तु जो व्यक्ति पूर्ण आस्था के साथ श्रद्धापूर्वक पूजा में हो रहे आरती के दर्शन करता है उसको परम पद की प्रप्ति होती हैं।
आरती का क्या नियम है? उसके बारे में जाने..
आरती करते समय इन नियमो का रखे ख्याल। यदि आप नीचे दिए गए नियमो का श्रद्धा पूर्वक पालन करते है तो प्रभु आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है और आपसे प्रसन्न होते हैं।
आरती करने का सही समय
आरती करने के लिए शास्त्रों में कुल 5 समय बताए गए है जिसमें आरती की जाती है और यह पांचों समय शास्त्रों के अनुसार (Aarti ke niyam) बिल्कुल सही समय है। जो इस प्रकार है:
- पहली आरती ब्रह्ममुहुर्त में 4-5 बजे के बीच भगवान को निद्रा से जगाने के लिए।
- दूसरी आरती प्रातः सुबह के 8-10 के बीच भगवान को भोग लगाने के लिए।
- तीसरी आरती दोपहर के समय 2-3 बजे प्रभु को विश्राम करने के लिए।
- चौथी आरती संध्या के समय 5-7 बजे के बीच जब भगवान जी विश्राम करके उठते हैं।
- पांचवी आरती रात्रि में 9-10 के बीच प्रभु को सुलाने के लिए आरती की जाती है।
आरती कितनी बार घूमानी चाहिए?
आरती करते समय हमे बैठना नहीं चाहिए और आरती करने वाला व्यक्ति को सदैव खड़े होकर आरती करनी चाहिए। आरती करते समय यह भी ध्यान रहे (Aarti ke niyam) की आरती को कितनी बार और कैसे घूमना है?
आरती कुल 14 बार क्लॉक वाइज घुमाकर करना चाहिए। इसको हम थोड़ा विस्तार से समझते है। 4+2+7+1=14, अर्थात आरती करते समय भगवान के चरणों को चार बार, नाभि को दो बार, सात बार भगवान के सभी अंगो को और एक बार प्रभु के मुखमंडल की आरती उतारी जाती है। ध्यान रहे आरती सदैव खड़े होकर और थोड़ा झुक कर है करनी चाहिए। इस प्रकार भगवान के 14 बार आरती उतारने से प्रभु अथवा ईश्वर में समाए सभी चौदहो भुवन में आपका प्रणाम पहुंचता है।
इस जगह पर रखे आरती का दीपक
हमारे धर्म शास्त्रों में आरती को लेकर स्पष्ट नियम उपलब्ध है जैसे कि जब भी आरती करते है तो उसके पूर्व और पश्चात् में कुछ बातो का विशेष ध्यान रखें जैसे
- कभी भी आरती के दीपक को सीधा जमीन पर न रखे।
- आरती के पूर्व अपने हाथो को स्वच्छ कर ले और गंगा जल से स्वयं पर छिड़काव कर ले जिससे शरीर शुद्ध हो जाए।
- आरती के दीपक को किसी थाल अथवा ऊंचे स्थान पर रखे।
- दीपक जलाने और जलाने के बाद अपने हाथो को अवश्य धोएं।
आरती के बाद ये अवश्य करें
किसी भी देवी देवता की पूजा आराधना और आरती करने के बाद जल से आचमन अवश्य करें। आचमन करने के लिए आपको आरती के दीपक के चारो तरफ पुष्प अथवा कोई छोटे पात्र से गंगा जल को क्लॉक वाइज घुमाकर जल को धरती पर छोड़ दे। इसके बाद ईश्वर से पूजा में हुए त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें और फिर सब जन में आरती दे।
आरती से जुड़ी अन्य खास बातें
- गौ के घी से जलाए गए दीपक से आरती करने पर स्वर्गलोक की प्राप्ति होती हैं।
- कपूर के दीपक से आरती करने पर अनंत में स्थान मिलता है।
- पूजा में हो रहे आरती के दर्शन मात्र से परम पद की प्राप्ति होती हैं।
- वह व्यक्ति जिसे आरती के मंत्र और विधि का कोई ज्ञान नहीं और वह सिर्फ आरती में पूर्ण श्रद्धा के साथ शामिल हैं तो उसको भी पूजा का पूरा लाभ मिलता है।
- आरती के लिए श्रद्धा की आवश्यकता होती है। ईश्वर इतने दयालु हैं कि अपने भक्त के भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
आरती के बाद क्या बोलना चाहिए?
आरती करने के बाद (Aarti ke niyam) दीपक का जल से आचमन करें और प्रभु से अपने त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना करे। और सभी देवी देवताओं का जयकारा लगाएं। उसके बाद सभी में आरती बांटे।
घर में रोज कौन सी आरती करनी चाहिए? कैसे करनी चाहिए?
घर में अपने इष्ट देव की आरती हर रोज सुबह शाम अवश्य उतारनी चाहिए। उसके बाद आप अपने इच्छा अनुसार किसी भी देवी देवता की आरती कर सकते हो।
और आरती करने के लिए (Aarti ke niyam) सदैव पंचमुखी अथवा सप्तमुखी ज्योति का ही प्रयोग करें क्योंकि यही सर्वोत्तम माना गया है। साथ में संख और घंटी अवश्य बजाए ।
पूजा आरती करने से पहले कौन से मंत्र का पाठ करना चाहिए?
पूजा के लिए मंत्र का उच्चारण सही से करने का प्रयास करे। आरती के लिए किसी विशेष मंत्र का उच्चारण करें। जैसे..
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते ।।
आरती की थाली में क्या क्या रखा जाता हैं?
भगवान की आरती उतारने के लिए पीतल, चांदी अथवा किसी शुद्ध धातु के थाल में दीपक जलाए। यदि आपके आस इन धातुओं से बनी थाल नहीं है तो (Aarti ke niyam) मिट्टी य फिर आटे का दीपक बनकर किसी भी थाल में रख कर आरती करे। इसके अलावा थाल में गंगा जल, चावल के दाने, कुमकुम, चंदन, धूप, कपूर, गाय के दूध का घी, फूल व प्रसाद हेतु फल अथवा मिठाई इत्यादि रखी जाती है।
आरती कैसे घुमानी चाहिए?
आरती हमेशा क्लॉक वाइज (Aarti ke niyam) अर्थात घड़ी जिस दिशा में घूमती है उस दिशा में ही घुमानी चाहिए।
[Disclaimer]
‘इस लेख में दी गई जानकारी (Aarti ke niyam) की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की हमारी कोई गारंटी नहीं है। इस लेख में उपलब्ध समस्त जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से एकत्रित करके आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ पाठकों को जानकारी देना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ जानकारी अथवा सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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