स्कंद पुराण की ऐसी बातें, जो आपके काम आएंगी | Skanda Purana

स्कंद पुराण से जुड़ी संपूर्ण जानकारी उन 18 महा पुराणों में से स्कंद पुराण का भी नाम बहुत बड़ा नाम माना जाता है स्कंद पुराण हमारे हिंदू और सनातन धर्म में बहुत बड़ा महत्व रखती है। स्कंद पुराण बहुत ही बड़ा पुराणों में से एक पुराण माना जाता है।

स्कंद पुराण में कौन-कौन सी बात लिखी हुई है। इसमें कौन से देवता को मुख्य केंद्र बताया गया है। और इसमें पूजा पाठ की क्या कौन-कौन सी विधि है उनसे भी जुड़ी जानकारी देंगे स्कंद पुराण लिखने वाले पहले कौन थे, तो चलिए पूरे आर्टिकल को आप ध्यान पूर्वक पड़ेगा हम संपूर्ण जानकारी आपको देंगे।

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स्कंद पुराण को इतना महत्व क्यों दिया गया?

Skanda-Purana

स्कंद पुराण को हिंदू धर्म में इतना महत्व क्यों दिया गया आखिरकार बहुत से पुराण है उन 18 पुराणों में से स्कंद पुराण को ज्यादा महत्व दिया जाता है तो इसके पीछे का एक मुख्य कारण है। कि स्कंद पुराण को जिन्होंने अपने मुख से महर्षि भेद व्यास जी को सुने थे वह कोई और नहीं भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय जी थे।

उन्होंने ही इस स्कंद पुराण को अपने मुख से वेदव्यास जी को सुनाया था। इसी चलते इस पुराण की इतनी बड़ी महिमा है इसमें बहुत से बातों को अच्छे ढंग से समझाया और बताया गया है। जीने की भारत और द्रविड़ साहित्य में मुर्गन के भी नाम से जाना जाता है कार्तिक जी को देवताओं का मंत्री भी घोषित कर दिया गया था।

स्कंद पुराण में कितने खंड और श्लोक हैं।

स्कंद पुराण जोगी हिंदू धर्म में बड़ा महत्व रखता स्कंद नाम है हमारे प्रिय कार्तिक जी के नाम से लिया गया नाम है और इसके अंदर आने वाले करो की संख्या कुल मिलाकर साथ है और शोक की संख्या के गणना की जाए तो 81000 श्लोक पाए जाते हैं।

इसलिए स्कंद पुराण को इस धरती का सबसे बड़ा और बड़ा पुराणों में से एक कहा जाता है। इस पुराण को सात अलग-अलग भागों में बांटा गया है उन सब भागों का अलग-अलग महिमा है चलिए उन सब से भी जुड़ी जानकारी हम आपको देते हैं।

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स्कंद पुराण के अनुसार मुख्य कौन-कौन हैं।

स्कंद पुराण के अनुसार मुख्य कौन-कौन हैं जैसे की मुख्य तीर्थ स्थल भारत के मुख्य पवित्र नदियां मुख्य पवित्र पर्व और उन मुख्य ग्रंथ कौन-कौन से हैं तो चलिए इन सब के बारे में भी विशेष करके जानते हैं।।

मुख्य तीर्थ स्थल

  • बद्रीका आश्रम
  • रामेश्वरम
  • काशी
  • अयोध्या
  • जनकपुरी
  • द्वारका
  • जगन्नाथ
  • पुरी
  • प्रभास
  • शाकंभरी
  • कांची
  • केदारनाथ
  • बद्रीनाथ

मुख्य और पवित्र नदिया

  • गंगा
  • जमुना
  • सरस्वती
  • नर्मदा

इस पुराण के अनुसार मुख और पवित्र नदियां माना गया है जिसके जिसमें स्नान करने मात्र से हैं आपके शरीर के सारे पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं।

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मुख्य ग्रंथ और कथाएं

रामायण और भागवत आदि कथाओं को स्कंद पुराण के अनुसार मुख ग्रंथ और कथाएं मानी जाती है

पवित्र वर्त

महीने के आने वाली पवित्र व्रत में से शिवरात्रि सत्यनारायण स्वामी एकादशी जैसे व्रत को बहुत ही अच्छा व्रत के रूप में इस इस पुराण में बताया गया है।

स्कंद पुराण के अनुसार स्कंद कौन है?

इस पुराण के अनुसार मुख देवता के रूप में भगवान शिव की महिमा का अपार वर्णन मिलता है। इस पुराण में इसमें इस पुराण में भगवान सीरियल विष्णु की महिमा का भी वर्णन मिलता है। लेकिन इसमें मुख्य रूप से भगवान शिव की महिमा का और उनके पूजा करने का विधि विधान का वर्णन मिलता है।

इसमें राजा दक्ष के बलिदान और शिव के दुख समुद्र मंथन और अमृत की उत्पत्ति की इसमें तारकासुर की कहानी माता पार्वती की जन्म की कहानी शिव के खोज और शिव से उनके विवाह की कहानी को विस्तार पूर्वक बताया और समझाया गया है इस पुराण का मुख्य उद्देश्य यही था।

स्कंद पुराण में क्या लिखा है?

स्कंद पुराण के अनुसार लिखा हुआ है कि तीर्थ पर जाने वाले व्यक्ति हमेशा खुशी रहता है जो हमेशा तीरथ व्रत करता रहता है उसके जीवन में कभी भी कष्ट नहीं आते जो भी व्यक्ति दान पूर्ण करता रहता है, जो भी व्यक्ति दूसरों का कष्ट देखकर अपना कष्ट समझे वह व्यक्ति कभी भी नरक का भोगी नहीं होता है।

वैसे व्यक्ति पर हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है इसलिए अपने जीवन में हमेशा किसी भी गरीब व्यक्ति को दान देते रहे उसे भूख ना सोने दें किसी भी मंदिर में जाकर दान पुण्य करते रहें यज्ञ में कुछ ना कुछ जरूर दान दें

स्कंद पुराण के रचयिता कौन हैं?

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स्कंद पुराण के रचयिता कौन हैं इस पुराण के अनुसार उनके रचयिता के रूप में हम लोग सभी लोग जानते हैं कि महर्षि वेदव्यास जी ने ही उनकी रचना की है इस पुराण की रचना किए हैं लेकिन इस पुराण का सबसे पहले संवाद कार्तिकेय जी ने किए थे इसी के चलते इस पुराण का नाम स्कंद पुराण रख दिया गया

इस पुराण में एक जगह लिखा हुआ है कि भगवान शिव के लिंग को समझने के लिए 11 आकाश और 11 पाताल की खोज कर दी फिर भी शिव की लिंग की महिमा उनको समझ से परे रहा गया। भगवान भोलेनाथ के लिंग की महिमा समझने में भगवान श्री विष्णु और ब्रह्मा से परे रहा गया इस पुराण के अनुसार भगवान भोलेनाथ की महिमा बहुत बड़ी बताई गईं है।

जिसे समझ पाना मुसकिल ही नही नामुमकिन है जिस की ब्रह्म और विष्णु नहीं समझ सके उसे हम और आप क्या समझ सकते हैं इसलिए भगवान भोलेनाथ की महिमा का गुण गाते चाहिए और स्कंद पुराने जैसी 18 पुराने को एक बार अपने जीवन में जरूर पढ़िएगा जिससे आपके जीवन में आने वाले सारे कष्ट दूर हो जाएंगे

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