Sam Ved in Hindi: सामवेद क्या है और इसके क्या फायदे और क्या गुण है इन सब से जुड़ी सारी जानकारी को आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी को बताने जा रहे है। चलिए ज्यादा समय नहीं लेते हुए हम सामवेद के बारे में आपको बताते चलते है।
सामवेद एक बहुत ही प्राचीन वेद है। हमारे सनातन धर्म के सबसे पहले पुस्तक के रूप में वेदों को ही जाना जाता है। या कहे तो ग्रंथ के रूप में सबसे पहले वेदों को ही जाना जाता है। हमारे वेद चार प्रकार के होते हैं। अथर्ववेद, यजुर्वेद, सामवेद, और ऋग्वेद। इन्हीं वेदों में से एक सामवेद आज हम बात करने जा रहे हैं।
सामवेद का अर्थ – sam ved in hindi
साम शब्द का अर्थ होता है संगीत | जब यह विश्व संगीत का मतलब नहीं जानता था तब सामवेद के माध्यम से या कहे तो सामवेद के मन्त्रों के माध्यम से सनातन धर्म में अपने देवताओं को स्तुति की जाती थी। सामवेद में जो भी मंत्र लिखे हुए हैं उन्हें एकदम संगीत की सुर में गया जाता हैं।
साम वेद का महत्व क्या है?
सामवेद को मुख्य रूप से संस्कृत का वेद कहा गया है और भारतीय संगीत में सामवेद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिसे कि भारतीय संगीत का मूल भी कहा जा सकता है। आमतौर पर कहा जाए तो सामवेद के मंत्र इस प्रकार है कि इसके मंत्र को संगीत के सुर में पिरोया जा सकता है और बजाया जा सकता है।
अगर आप संगीत में थोड़ी भी रूचि रखते हैं तब आपको सामवेद की जानकारी जरूर होगी या होनी चाहिए। क्योंकि जिस माध्यम से संगीत की उत्पति हुई है अगर आप वही नहीं समझ पाते हैं तो फिर आपका सारा ज्ञान व्यर्थ होगा।
सामवेद से हुआ संगीत का जन्म – sam ved in hindi
लोग कहते हैं कि सामवेद में आखिर क्या-क्या लिखा हुआ है। तो श्याम बेदी जो है वह संगीत के जन्मदाता हैं। आज के समय में भी जो संगीत गया जाता है चाहे वह जिस भाषा का हो सभी लय सामवेद से ही उत्पन्न हुई है। या कहे तो प्राचीन समय से ही सामवेद के ही संगीत पर गांन बजान होते आया हैं।
संगीत का कोई भी सुर आप लेलो उसका उल्लेख हमारे सामवेद में लिखा हुआ है। जो भी आज के हिपहॉप और रैप आर्टिस्ट हैं जो गाने के नाम पर कुछ भी बना देते हैं उन्हें एक बार सामवेद पढ़ना चाहिए तब उन्हें अपने ही गाने से घिन आने लगेगा। सामवेद हमें संगीत का असली मतलब सिखाता है।
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सामवेद के श्रेष्ठ तथ्य – sam ved in hindi
अगर आपके घर में कभी यज्ञ या हवन हो रहा होगा तो आप संतो को देखेंगे कि वह एक सूर में मंत्रो का उच्चारण करते हैं। और अगर कोई उनके बीच में टोकता है तो वह काफी नाराज होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सामवेद में कहा जाता है कि किसी भी मंत्र को उच्चारण करने के बीच में उसे कभी रोकना नहीं चाहिए। और यही सामवेद का श्रेष्ठ तथ्य है।
लेकिन अमूमन आज के समय में देखा गया है कि अगर कोई ब्राह्मण बिना किसी के बात मने बिना बीच में रुके मंत्रो का उच्चारण करते हैं। तो उन लोगों को लगता है कि वह गलत मंत्रो का उच्चारण कर रहे हैं और उसका मतलब उनको नहीं पता है। तो अगर आपको किसी बात की पूरी जानकारी नहीं होती है, तो आपको उनका आकलन नहीं करना चाहिए। और यही सामवेद हमें सिखाता है।
सामवेद में कितने मंत्र का उच्चारण किया गया है?
सामवेद में कुल मिला कर 1875 मंत्रो का उच्चारण किया गया है। जिसमें से कहा जाता है कि 75 मंत्र को ऋग्वेद से लिया गया है। जो की ऋग्वेद में बचा हुआ मंत्र था। इसी चलते कुल मिलाकर सामवेद में 1875 मंत्र को गिना जाता है। अगर आप इन सारे मंत्रो का सही से पालन और उच्चारण करते हैं तब आपको संगीत का सही से ज्ञान हो जाएगा।
सामवेद का हर एक मंत्र एक अलग सुर है और आपको महसूस होगा सामवेद पढ़ने के बाद की आपने 1875 नए सुर या कहे की असली सुर को जान लिया है।
सामवेद में कुल कितने अध्याय हैं?
सामवेद में अध्याय की बात करें तो इसमें कुल 21 अध्याय हैं औरजो प्रापथक हैं और कुल 400 सूत्र हैं। वैसे तो सामवेद में कुल 1875 मंत्र हैं लेकिनबताया जाता है कि सामवेद के अपने सिर्फ 99 मंत्र ही हैं बाकी ऋग्वेद से लिया गया है।
सामवेद में मुख्य रूप से किस भगवान का उल्लेख मिलता है।
सामवेद में मुख्य रूप से भगवान सूर्य का उल्लेख मिलता है। वैसे तो सामवेद संगीत पर आधारित है पर इसमें भी भगवान सूर्य का मुख्य रूप से वर्णन मिलता है। और उनके उपासना का मंत्र मिलता है। जो भी व्यक्ति सामवेद का संपूर्ण मंत्र के साथ भगवान सूर्य का उपासना करेगा उसकी संपूर्ण मनोकामना बहुत ही जल्द पूरी हो जाएगी।
और सूर्य देवता के वर्णन के पीछे एक महत्वपूर्ण कारन भी है। इस धरती पर जिंदगी के मुख्या श्रोता सूर्य देव ही हैं। और बिना उनके कोई भी सुर संभव नहीं है। इसी कारन से सामवेद में सूर्य देव का वर्णन है।
सामवेद में भगवान सूर्य के मंत्रो के अलावा इसमें भगवान इंद्रदेव का और सोमदेव का मुख्य रूप से वर्णन किया गया है। और उनके विशेषताओं को दर्शाया गया है और उनका पूरा उल्लेख को खुलकर के बताया गया है।
सामवेद की तीन मुख शाखाएं हैं
सामवेद की तीन मुख्य शाखाएं हैं जो की तीन भागों में बांटी गई है। उनके नाम है इस प्रकार है। कौठानीय, जैमनीय और राणायनीय, यह तीनों शाखाएं हैं। सामवेद को तीन अलग-अलग प्रकारों में बांटा गया है। वही चारों वेदों में बात करें तो सामवेद को सबसे छोटा वेद माना जाता है।
अग्नि वेद में कहा गया है कि अगर सामवेद के मंत्रो को सही से उच्चारण किया जाए या गाया जाए तो इससे रोगों से छुटकारा मिल जाती है और सिद्धि भी प्राप्त होती है। गीता और महाभारत में भी सामवेद के गुन का वर्णन किया गया है। और वैसे भी कहा जाता हैं की संगीत किसी भी बीमारी को हरने की छमता रखता है।
सामवेद के रचयिता कौन हैं।
कहा जाता है कि सामवेद को मुख्य रूप से ऋग्वेद से लिया गया पाठ्यक्रम है या कहे तो ऋग्वेद बचा हुआ मंत्र सामवेद में डाला गया है। इसीलिए सामवेद को ऋग्वेद से उत्पन्न हुए हैं। लेकिन चारों वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास है जो की एक बहुत है विद्वान साधु थे।।
सामवेद कैसे पढ़ा जाता है?
जैसा कि हमने आपको बताया कि सामवेद से ही संगीत की उत्पत्ति हुई है। तो अगर आपको जानना है कि सामवेद को कैसे पढ़ा जाता है तो इसका एक सिंपल सा तरीका है। सामवेद के सारे मंत्रो को आपको एक सुर में पिरोना है और उसके बाद ही इसका उच्चारण करना है। जैसे आपने देखा होगा कि कहीं भी यज्ञ या हवन होता है तो पंडित जी एक सुर में मंत्रो को पढ़ते हैं और बीच में उसका उच्चारण बिल्कुल भी नहीं रोकते हैं। आपको भी उसी प्रकार से सामवेद के मंत्रो को पढ़ाना है।
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